नई दिल्ली. देश के शीर्ष डॉक्टरों ने बुधवार को कहा कि 'ऑक्सीजन दवा के जैसी है' और रुक-रुक इसे लेना फायदेमंद नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई डाटा नहीं है, जो दर्शाता हो कि यह कोविड-19 रोगियों के लिए किसी भी तरह मददगार है या होगी, लिहाजा यह बेकार की सलाह है. एम्स के डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोविड-19 के 85 प्रतिशत रोगी रेमडेसिविर आदि के रूप में बिना किसी स्पेसिफिक ट्रीटमेंट के ठीक हो जाएंगे. उन्होंने कहा, 'अधिकतर को जुकाम, गले में खराश आदि जैसे सामान्य लक्षण होंगे और पांच से सात दिन में वे इन लक्षणों के इलाज के जरिये उबर जाएंगे. केवल 15 प्रतिशत रोगियों को ही बीमारी के मध्यम चरण का सामना करना पड़ सकता है.'


गुलेरिया ने कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान के अनुसार स्वस्थ लोग, जिनका ऑक्सीजन सेच्युरेशन 93-94 प्रतिशत है, उन्हें अपने सेच्युरेसन को 98-99 प्रतिशत तक बरकरार रखने के लिये हाई लेवल ऑक्सीजन लेने की कोई जरूरत नहीं है. 94 प्रतिशत से कम ऑक्सीजन सेच्युरेशन वाले लोगों को करीबी निगरानी की जरूरत है. गुलेरिया ने कहा, 'ऑक्सीजन एक इलाज है. यह एक दवा की तरह है. रुक-रुककर इसके इस्तेमाल का फायदा नहीं हैं. ऐसा कोई डाटा नहीं है, जो दर्शाता हो कि यह कोविड-19 रोगियों के लिये किसी भी तरह मददगार है या होगी, लिहाजा यह बेकार की सलाह है.'


डॉक्टर नरेश त्रेहन ने दी ये सलाह
मेदांता हॉस्पिटल के अध्यक्ष डॉक्टर नरेश त्रेहन ने कहा कि अगर हम सही तरीके से ऑक्सीजन का इस्तेमाल करने का प्रयास करें तो देश में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन है. उन्होंने लोगों से ऑक्सीजन को 'सुरक्षा कवच' के रूप में इस्तेमाल नहीं करने का अनुरोध किया. एक बयान के अनुसार त्रेहन ने कहा कि ऑक्सीजन की बर्बादी होने से वे लोग इससे वंचित रह जाएंगे, जिन्हें इसकी जरूरत है.


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