नई दिल्ली: कोरोना वायरस का पूरी तरह खत्म होना मुश्किल है. इस सत्य को WHO ने भी मान लिया है. दवा-वैक्सीन की खोज ही इससे बचाने का एकमात्र उपाय है और पूरी दुनिया इस काम में जुटी है. भारत भी अपनी कोशिश में लगा है. देश में कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है, साथ ही साथ कोरोना के खिलाफ कुछ दवाओं का क्लीनिकल ट्रायल भी किया का रहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि भारत वैक्सीन बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है. इस में हमारी साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्रालय और खासकर CSIR जुटी हुई है.
भारत में इस वक्त दो दवाइयों पर रिसर्च चल रहा है माइकोबैक्टेरियम डब्लू यानी MW और ACQH. MW ड्रग का दिल्ली के AIIMS, भोपाल के AIIMS और PGI चंडीगढ़ में ट्रायल शुरू हो चुका है. करीब 50 फीसदी मरीजों पर MW दवा का ट्रायल चल रहा है. भोपाल AIIMS के ICU में भर्ती दो मरीजों पर माइकोबैक्टेरियम डब्लू का ट्रायल कामयाब रहा और उनका ऑक्सीजन सपोर्ट भी हटा दिया गया है.
दूसरी दवा है ACQH. ये वनस्पति है और इसके एक्सट्रैक्ट का कोरोना मरीज के इलाज के लिए ट्रायल चल रहा है. ACQH से बनी दवा का इस्तेमाल डेंगू जैसी बीमारी में होता है. CSIR के मुताबिक डेंगू में इसके नतीजे काफी अच्छे मिले हैं. इसके अलावा भारत में रिसर्च की रेस में ये दो और दवाइयां हैं. हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और रेमडेसिवीर. जिसकी दुनिया के कई देशों में अच्छे नतीजे दिख रहे हैं कुछ देशों से तो इसे मान्यता भी मिल चुकी है.
ICMR ने भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के साथ मिलकर कोरोना के खिलाफ स्वदेशी वैक्सीन बनाने के लिए साझेदारी की है. इसके अलावा भारत में प्लाजमा थेरेपी से भी इलाज का दावा किया जा रहा है. हालाकि ऐसा करने की इजाजत स्वास्थ्य मंत्रालय नहीं देता लेकिन दिल्ली के LNJP अस्पताल में इस थेरेपी के अच्छे नतीजे सामने आए. यहां 4 मरीज ठीक भी हुए हैं.
दवाओं की खोज के अलावा कोरोना से निपटने के लिए भारत में नई खोज भी हो रही है. नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेट्रीज बेंगलुरु ने एक नए तरह का वेंटिलेटर बनाया है जो कोरोना के इलाज में कारगर माना जा रहा है. CSIR के डीजी डॉ शेखर मांडे ने कहा कि ये पॉजिटिव प्रेशर वेंटिलेटर होता है. इनमें दोनों समय इनहेल और एक्सहेल में भी लगा सकते हैं. ऑक्सीजन मिलता है. इसकी खास बात है कि सांस छोड़ने के वक्त हवा में अगर वायरस होगा तो वो बाहर नहीं निकल पाएगा. क्योंकि वहां एक फिल्टर लगा होता है.
आम तौर पर जो वेंटिलेटर इस्तेमाल होता है उसमें एक नली नाक में डाली जाती है. लेकिन इस वेंटिलेटर में ऐसा करने की जरूरत नहीं है. सिर्फ मास्क लगाकर प्रेशर की मदद से हवा अंदर डाली जाएगी और फिर उसे बाहर निकाल सकते हैं. CSIR के मुताबिक इसका इस्तेमाल करना भी बहुत आसान है और मरीज को तकलीफ भी कम होगी. ये 15 दिनों में बाजार में आ जाएगा.
दुनिया के तमाम देश कोरोना की वैक्सीन ढूंढने में लगे हैं. लगभग 110 संस्थानों में कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च हो रही है और इस रिसर्च में ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी काफी आगे है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का दावा है कि एक महीने में कोविड-19 वैक्सीन के इंसानी ट्रायल का नतीजा आ जाएगा. पिछले महीने इंसानों पर वैक्सीन का टेस्ट शुरू किया था. ब्रिटेन के 200 अस्पतालों में 5000 लोगों पर टेस्ट हुआ है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने जगाई उम्मीद
अब अगर इस टेस्ट सफल होता है और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड-19 वैक्सीन को मान्यता मिल जाती है तो इसका मतलब ये होगा कि दुनिया को कोरोना की पहली वैक्सीन अगले एक महीने में मिल सकती है.
इससे पहले कोरोना की जंग में जो दवा सबसे ज्यादा चर्चा में है उसका नाम है रेमडेसिवीर. अमेरिका ने कोरोना मरीजों पर रेमडेसिवीर दवा का ट्रायल किया है. दवा को लेकर अमेरिका का दावा है कि अमेरिका में दर्जनों लोग जिन्हें ये दवा दी गई है, ठीक हुए हैं. बड़े पैमाने पर रेमडेसिवीर का उत्पादन किया जा रहा है. जापान ने भी रेमडेसिवीर दवा का इस्तेमाल किया है. रेमडेसिवीर से 10 से 11 दिन में मरीज ठीक हुए हैं. हालांकि इस दवा को घोषित तौर पर कोई मान्यता नहीं दी गयी है.
अमेरिका की मॉडर्ना और Pfizer कंपनी भी वैक्सीन बनाने का ट्रायल कर रही हैं. वहीं इस वायरस का जन्मदाता यानी चीन भी वैक्सीन की खोज में तेजी से लगा हुआ है. चीन का दावा है कि 3 संस्थानों ने वैक्सीन बनाई है. इंसानों पर वैक्सीन का ट्रायल शुरू किया गया है. इजरायल के मुताबिक वैक्सीन का टेस्ट काफी आगे की स्टेज में है. वहीं इटली का दावा है कि वायरस को खत्म करने वाली एंटी बॉडीज बनाई है, जो मनुष्य के शरीर में वायरस को खत्म कर सकता है.
कोरोना की वैक्सीन बनाने में लगे शोधकर्ताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वो वैक्सीन इंसानों के लिए सुरक्षित हो. इसलिए जब तक किसी वैक्सीन के इंसानी परीक्षण का सफल नतीजा नहीं आ जाता तब तक दवा की खोज जारी रहेगी.
आयुर्वेद पर भी टिकी निगाहें
भारत के पास औषधीय गुणों वाले पौधों का एक ऐसा खजाना है जो सदियों से उपचार और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित हुआ है, आज जब दुनिया एक ऐसी बीमारी से लड़ रही है, जिसकी कोई इलाज नहीं, जिसकी कोई दवा नहीं तब ऐसे आयुर्वेदिक गुणों वाले पौधे महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि भारत का आयुष मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, विज्ञान और प्रोद्योगिक मंत्रालय कोशिशों में जुटा है. ICMR के टेक्निकल सपोर्ट के साथ आयुष की कुछ दवाईयां जैसे अश्वगंधा, यश्टिमधु, गुडुचीपीपाली है या आयुष 64 है इन दवाओं का व्यापक रुप से क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो रहे हैं उन लोगों के ऊपर जो हेल्थ वर्कर हैं, हाई रिस्क एरिया में हैं.
आमतौर पर अश्वगंधा को किसी भी बैक्टीरिया के संक्रमण को रोकने में लाभकारी माना जाता है. डायबिटीज और थायराइड के मरीजों के लिए अश्वगंधा के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है. अश्वगंधा की तरह तमाम ऐसी चीजें हैं जो बीमारियों से लड़ने और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काम आती हैं. इसलिए आयुष मंत्रालय की तरफ से बार-बार ये दिशानिर्देश दिए जा रहे हैं कि इन दिनों लोगों को स्वस्थ्य रहने के लिए आसान आयुर्वेदिक उपायों को अपनाना चाहिए.
काढ़े के अलावा आयुष मंत्रालय द्वारा और कई सुझाव कोरोना वायरस से बचने के लिए दिए गए हैं. हमारी इस रिपोर्ट में आपको ऐसे कई सुझाव मिलेंगे जिनके जरिए आप सकारात्मक जीवन और जीविका को बड़ी आसानी से अपने जीवन का हिस्सा बना सकते हैं.
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद की डायरेक्टर तनुजा नेसरी ने कहा कि आयुष मंत्रालय ने जो एडवाइजरी जारी की है वो सेल्फ केयर मेजर है यानी हर कोई घर में कर सकता है जिसमें अपनी इम्यूनिटी को हर कोई मजबूत बना सकता है, जैसे फ्रिज का पानी न न पिएं, गुनगुना पानी पीएं.
शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय की तरफ से जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक, सुबह उठकर अदरक और नींबू डालकर गर्म पानी पी सकते हैं. गले में खराश होने पर हल्दी के पानी से गरारा लाभकारी होता है. दिन में एक या दो बार हल्दी वाला दूध ले सकते हैं. च्यवनप्राश का इस्तेमाल करें. इसके अलावा तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, अदरक या सोंठ, मुनक्का और गुड़ वाला काढ़ा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है.
खांसी या गले की खराश होने पर लौंग के पाउडर को शहद या चीनी के साथ ले सकते हैं. इसी तरह पुदीने के पत्ते या अजवाइन के पानी की भाप भी गले को ठीक करने में मददगार साबित हो सकती है. तेल से भी बचाव होते हैं. घर से बाहर निकलने पर नाक में तेल लगाएं. दोनों नथुनों में एक बूंद तेल लगाकर मास्क पहनें. नाक में तिल, सरसों या नारियल का तेल लगा सकते हैं. तेल कीटाणुओं को नाक में जाने से रोकता है.
हालांकि अगर आपकी नाक और गले में कोई तकलीफ हो तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं क्योंकि ये सारे उपाय सिर्फ बचाव के लिए हैं. सरकार ने सिर्फ आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इन उपायों को अपनाने की सलाह दी है.