नई दिल्ली: कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार ने कोविड रिस्पांस प्लान बनाया है. इसी प्लान के तहत दिल्ली के सभी 11 जिलों में फिर से सीरोलॉजिकल सर्वे शुरू किया जा रहा है. इसमें लोगों के सैंपल लेकर कोरोना वायरस के शहर में फैलाव का आकलन किया जायेगा. इसके तहत 1 अगस्त से 5 अगस्त के बीच सैंपल लिए जाएंगे. दिल्ली सरकार ने अब हर महीने सीरोलॉजिकल सर्वे कराने का फैसला किया है.
पहले सीरोलॉजिकल सर्वे में क्या पता चला
दिल्ली में किये गए पहले सीरोलॉजिकल सर्वे से ये पता चला है कि 23.48% दिल्ली वाले अब तक कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं. NCDC (नेशनल सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल) और दिल्ली सरकार द्वारा कराये गये इस सर्वे में 23.48 फीसदी लोगों में कोविड के खिलाफ एंटीबॉडी पाया गया है. 27 जून से 10 जुलाई तक चले सीरो सर्वे में कुल 21387 सैम्पल लिए गए थे.
इस सर्वे के परिणाम से दिल्ली में कोरोना कहां-कहां तक और कितने व्यापक स्तर पर पहुंच चुका है, ये समझने में आसानी होगी और इसे रोकने में मदद मिलेगी.
क्या होता है सीरोलॉजिकल सर्वे
सिरोलॉजिकल टेस्ट ब्लड टेस्ट होता है, जिसके द्वारा शरीर में एंटीबॉडीज का अध्ययन किया जाता है. शरीर में एंटीबाडी तब बनने शुरू होते हैं जब कोई बाहरी वायरस या बैक्टीरिया शरीर मे प्रवेश करता है. ऐसे संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र एंटीबॉडीज बनाता है. यानी कि जिनके भी शरीर में एंटीबॉडीज बन रहे हैं वो संक्रमित हो चुके हैं.
इन ब्लड सैंपल को लेने का मकसद यही है कि उन लोगों के बारे में पता लगाया जा सके जो लोग कोरोना से संक्रमित होकर ठीक भी हो गए और उन्हें पता ही नहीं चला कि वो कोरोना संक्रमण का शिकार हुए.
ये है सर्वे का कारण
इस सर्वे का एक मुख्य कारण यह भी है कि जिन लोगों में लक्षण दिखते हैं या जो गंभीर हो जाते हैं, वो तो अपना टेस्ट और इलाज करवाकर पॉजिटिव से नेगेटिव हो जाते हैं लेकिन ऐसे भी बहुत से लोग होते हैं जो बिना किसी लक्षण के भी इस वायरस से संक्रमित होकर ठीक भी हो जाते हैं लेकिन उन्हें कभी इसका पता नहीं चलता.
या फिर ऐसा भी हो सकता है कि व्यक्ति को पता ही ना हो और वो वर्तमान में भी पॉजिटिव हो. यानी रेंडम सेंपलिंग करके यह आकलन किया जाएगा कि दिल्ली के अंदर यह वायरस किस हद तक और कहां-कहां फैल चुका है.