नई दिल्ली: राष्ट्रव्यापी लॉकडॉउन के कारण उत्पन्न हुई परिस्थिति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जरुरतमंदो के लिए सबसे बड़े मददगार के रुप मे सामने आया है. दिल्ली में गरीबों, दिहाड़ी मजदूरों, रेहडी-पटरी वालों और फुटपाथ पर सामान बेचने वालों की बस्तियों में खाने-पीने की वस्तुओं, राशन और दूसरी जरूरी चीजों का भारी अभाव पैदा हो गया था. कई जगहों पर तो लोगों के पास खाने-पीने के लिए एक दाना भी नहीं बचा था. लेकिन ऐसे वक्त में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रांत के 9745 स्वयंसेवकों ने लोगों के बीच जाकर उन्हें मदद पहुंचाने का काम किया. एक आंकड़ों के मुताबिक अब तक करीब सवा तेरह लाख लोगों तक संघ ने मदद पहुचाई. जो अपने आप में एक कीर्तिमान है.
गौरतलब है कि लॉक डाउन के दौरान लोगों के सामने सबसे बड़ा संकट भोजन का था. जिसे ध्यान में रखते हुए संघ परिवार ने सबसे पहले लोगों के लिए भोजन और नाश्ते की व्यवस्था को शुरू की. संघ के दिल्ली प्रान्त के प्रचार प्रमुख रितेश अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली के 179 स्थानों पर सामुदायिक रसोई के माध्यम से लोगों को ताजा खाना परोसा गया.
बहुत से लोग सामुदायिक रसोई तक भोजन के लिए नहीं पहुंच पाएं थे. ऐसे लोगों के घरों और मोहल्लों में जाकर स्वयंसेवकों ने 28,62,312 भोजन के पैकेट उन्हें प्रदान किए. संघ के तमाम अनुषांगिक संगठनों ने राजधानी में 910 जगहों पर लोगों की मदद के लिए सहायता और सेवा केंद्रों का संचालन किया. इन केंद्रों के माध्यम से 1,22,468 राशन की किट पीडित लोगों को प्रदान की गई.
राशन की किट में आटा, चावल, चीनी, तेल, दाल, चायपत्ती, दूध का पैकेट, गरम मसाला, हल्दी, नमक और नूडल्स के पैकेट शामिल थे. खासबात यह थी कि संघ ने जो राशन किट लोगों के बीच वितरत की थी वह उच्च कोटि की थी और उनकी पैकिंग करने के लिए संघ ने दिल्ली में 8 स्थानों पर पैकिंग यूनिट को शुरू किया था जहां लगातार पैकिंग किट बनाने का कार्य चल रहा था.
देश की राजधानी में लॉकडॉउन के वक्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन सेवा भारती ने कई हेल्प लाइन नंबर भी जारी की थी.
छात्रों के लिए जारी किया कॉल सेवा
दिल्ली में रह रहे उन छात्रों के लिए एक कॉल सेवा संचालित की जा रही थी जो छात्र दिल्ली में अध्ययन के दौरान फंस गए थे और उनके पास खाने-पीने और दूसरी चीजों का भारी संकट खड़ा हो गया था. इस हेल्प लाइन पर 550 छात्रों ने फोन कर सहायता मांगी थी जो उन्हें तत्काल मुहैया कराई गई. हॉस्टल और पीजी में रहने वाले 1917 छात्रों को भी लॉकडॉउन के दौरान मदद पहुंचाई गई.
दिव्यांगों के लिए भी फोन सेवा
सेवा भारती ने दिव्यांगजनों के लिए भी एक फोन सेवा का आरंभ किया था जिसपर 171 दिव्यांग लोगों ने फोन कर अपने लिए मदद मांगी.
सेवा भारती ने दिल्ली में रहने वाले पूर्वोत्तर के राज्यों के लोगों की मदद के लिए भी एक फोन सेवा शुरू की थी जिस पर 2366 लोगों ने फोन कर मदद मांगी थी. पूर्वोत्तर के लोगों के फोन कॉल आने के फौरन बाद मदद पहुंचाई गई.
संघ के स्वयंसेवकों ने कोरोना वॉरियर्स के काम में जुटे डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस कर्मियों, सुरक्षा गार्डों और सफाई कर्मचारियों को 138 जगहों पर जाकर सम्मानित किया.
पशु पक्षियों के लिए भी दाना
देश की राजधानी में लॉकडॉउन के बाद जन-जीवन पूरी तरह से थम गया था. ऐसे वक्त में सड़कों पर रहने वाले आवारा पशुओं गायों के सामने खाने पीने का संकट खड़ा हो गया था. फुटपाथ और पॉर्क में दाना चुगने वाले पक्षी भी दाने को तरस गए थे. स्ट्रीट डॉग को खाना-पीना मिलना मुश्किल हो गया था. जिसके बाद मानवीय आधार पर संघ ने 7.5 कुंटल हरा चारा गौ सेवा के लिए गायों और गोवंश के लिए डाला. और दिल्ली में 447 जगहों पर पक्षियों को दाना और पानी देने के काम किया और स्ट्रीट डॉग को दूध और बिस्किट खाने को दिया.