नई दिल्ली: भारत ने सोमवार को दुनिया के सबसे बड़े ‘लॉकडाउन’ (बंद) से धीरे-धीरे बाहर निकलने की शुरूआत की लेकिन पहले दिन विभिन्न क्षेत्रों में काम धंधे की शुरुआत छिटपुट इकाइयों तक सीमित रही.


सोमवार से ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों पर लगी रोक हटा ली गयी है लेकिन अभी कामकाज छिटपुट ही शुरू हो पाया है. कुछ कंपनियों ने वस्तुओं और लोगों की आवाजाही पर पाबंदी पूरी तरह से हटने का इंतजार करने का निर्णय किया है.


सरकार ने बंद के कारण अटकी पड़ी अर्थव्यवस्था को थोड़ी गति देने के इरादे से पिछले सप्ताह ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों और किसानों के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर बनाने वाले उद्योगों को कामकाज शुरू करने की अनुमति दी. एक अनुमान के अनुसार इस महा बंद के कारण 7-8 लाख करोड़ रुपये के नुकसान होने की आशंका है.


रोजमर्रा के उपयोग का सामना बनाने वाली कंपनियां (एफएमसीजी)आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश कम होने के साथ उत्पादन को बढ़ाने पर गौर कर रही हैं. इन कंपनियों को कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये बंद के कारण आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने और श्रमिकों की उपलब्धता में कमी का सामना करना पड़ा है.


हालांकि वाहनों के उपकरण बनाने वाली कंपनियां तीन मई के बाद ही चरणबद्ध तरीके से कामकाज शुरू करने पर विचार कर रही हैं. बंद की विस्तारित मियाद उसी दिन समाप्त हो रही है. इसका कारण यह है कि खुदरा और ‘वेंडर नेटवर्क’ अभी भी प्रभावित है जिससे नकदी प्रवाह पर असर पड़ रहा है.


वहीं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और व्यापार प्रक्रिया प्रबंधन उद्योग (बीपीएम) जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिये अभी घर से काम करना जारी रह सकता है क्योंकि उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों ने बिना किसी छूट के बंद अभी जारी रखने का निर्णय किया है. तीनों राज्यों में आईटी-बीपीएम कंपनियां काफी संख्या में हैं.


सरकार अपनी ओर से आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की महत्वपूर्ण भूमिका देख रही है. इस संदर्भ में शुरूआत करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने 42,000 करोड़ रुपये के निवेश वाली 511 परियोजनाओं में तत्काल काम शुरू करने का फैसला किया है.


पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेश्न (ओएनजीसी), इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), गेल, ऑयल इंडिया लि. तथा छह अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने उन परियोजनाओं की पहचान की है जो या तो ग्रामीण क्षेत्रों में या फिर उसके लिये कार्यबल स्थानीय तौर पर उपलब्ध हैं. इन परियोजनाओं से आपूर्तिकर्ताओं और श्रमिकों को पहले महीने में 2,210 करोड़ रुपये का भुगतान होगा जबकि 7 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजित होंगे.


निर्माण क्षेत्र में सरकार ने कार्य शुरू करने की अनुमति दे दी है लेकिन रियल एस्टेट कंपनियों के समक्ष समस्या श्रमिकों की उपलब्धता की है. ज्यादातर प्रवासी मजदूर 25 मार्च से बंद के कारण अपने पैतृक श्हर लौट गये हैं. सरकार ने अबतक राज्यों के बीच श्रमिकों की आवाजाही शुरू नहीं की हैं इसीलिए कंपनियों को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.


पंतजलि, सोया, डाबर और पारले जैसी कंपनियां बंद के पहले चरण में सीमित कार्यबल के साथ अपने संयंत्रों को कम क्षमता पर परिचालन कर रही थी. वे अब अपने आपूर्तिकर्ताओं को अब विनिर्माण की मंजूरी दे रही हैं जिसमें ज्यादातर सूक्ष्म, लघु एवं मझोले (एमएसएमई) उद्यम हैं और शहर के भीतर स्थित हैं.


योग गुरू रामदेव ने कहा, ‘‘बंद के दौरान भी पंतजलि और रूचि सोया के संयंत्र परिचालन में थे क्योंकि वे खाद्य पदार्थ और जरूरी सामान बनाते हैं. हालांकि परिवहन और आपूर्ति श्रृंखला की समस्या थी. मुझे लगता है कि ये चीजें धीरे-धीरे खत्म होंगी.’’


इसी प्रकार, डाबर इंडिया के कार्यकारी निदेश्क (परिचालन) शहरूख खान ने कहा, ‘‘डाबर के सभी कारखाने सोमवार से परिचालन में आ गये. इनमें आयुर्वेदिक दवाओं के साथ सैनिटाइजर, और रोजाना के जरूरी सामानों का उत्पान होता है. कारखानों और दफ्तरों में सामाजिक दूरी और अन्य एहतियाती उपायों के साथ कामकाज शुरू किया गया है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘अब हम आपूर्ति संबंधी बाधाओं और कार्यबल की उपलब्धता की समस्या को ध्यान में रखते हुए उत्पादन बढ़ाने का प्रयास करेंगे.’’वहीं आईटी कंपनियां अभी कुछ अन्य राज्यों से चीजें स्पष्ट होने की प्रतीक्षा कर रही हैं.


उद्योग संगठन नासकॉम ने अपने सदस्यों से कहा है कि जिन राज्यों से मंजूरी आती है, उन्हें शुरू में 15-20 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम को आगे बढ़ाना चाहिए और इसमें धीरे-धीरे गति लानी चाहिए.


नासकॉम की वरिष्ठ उपाध्यक्ष और मुख्य रणनीति अधिकारी संगीता गुप्ता ने कहा, ‘‘गृह मंत्रालय के दिशानिर्देश में आईटी और आईटी संबद्ध कंपनियों को 50 प्रतिशत कार्यबल के साथ काम करने की अनुमति दी गयी है. हमने अपने सदस्य कंपनियों को चरणबद्ध तरीके से 15-20 प्रतिशत कार्यबल के साथ काम शुरू करने क सुझाव दिया था. बाद में जमीनी स्तर पर स्थिति का आकलन करते हुए इसे बढ़ाया जाना चाहिए.’’उन्होंने कहा कि लेकिन राज्यों के भी अपने नियम हैं। उत्तर प्रदेश और दिल्ली ने स्पष्ट किया है कि अभी वे इस प्रकार की गतिविधियों की अनुमति नहीं देंगे.