नई दिल्ली: सीबीएसई की 10वीं और 12वीं के छात्रों से इस साल एक्जामिनेशन फीस न लेने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. याचिकाकर्ता एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट ने कोरोना के चलते रोजगार और आमदनी में आई कमियों के हवाला देते हुए यह मांग रखी थी. यह भी कहा था कि अगर फीस ज़रूरी हो तो उसका एक हिस्सा सरकार को वहन करना चाहिए.


याचिकाकर्ता ने क्या कहा था?


याचिकाकर्ता एनजीओ की तरफ से वकील अशोक अग्रवाल ने जजों को बताया कि यह 30 लाख छात्रों से जुड़ा मामला है. इनमें से एक बड़ी संख्या ऐसे छात्रों की है जो सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं. आर्थिक रूप से मज़बूत नहीं हैं. उनसे परीक्षा फीस नहीं ली जानी चाहिए, लेकिन जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच इन दलीलों से आश्वस्त नहीं हुई.


अग्रवाल ने इस साल फीस बढ़ाए जाने का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा कि अगर फीस माफ न भी हो, तब भी कम से कम पुरानी फीस ही ली जाए, लेकिन कोर्ट ने इस पर भी आदेश देने से मना कर दिया.


हाई कोर्ट ने भी खारिज कर दी थी याचिका


इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस मसले पर राहत देने से मना कर दिया था. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि उन्होंने दिल्ली सरकार से राज्य के छात्रों की एक्जामिनेशन फीस भरने का आग्रह किया था, लेकिन सरकार ने मना कर दिया. कहा कि इस आर्थिक बोझ को उठाने में वह सक्षम नहीं है. इस पर जजों ने कहा- सरकार अपने संसाधनों के आधार पर निर्णय लेती है. इसमें कोर्ट दखल नहीं दे सकता.


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