लुधियाना: सोमवार से शुरू होने वाले पंजाब विधानसभा बजट सत्र से ठीक पहले पंजाब के जेल और सहकारिता राज्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा (62) पहले एक सरकारी लैब में कोविड पॉजिटिव पाए गए, जबकि दो दिन बाद उन्होंने निजी लैब में और PGIMER चंडीगढ़ में टेस्ट करवाए, जिसमें वे निगेटिव पाए गए. यानी तीन के भीतर ही उनका कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव और निगेटिव, दोनों पाया गया.


रंधावा ने अपना पहला सैंपल 25 फरवरी को एमएलए हॉस्टल चंडीगढ़ में दिया था. विधानसभा सत्र से पहले विधायकों के लिए अनिवार्य परीक्षण में 26 फरवरी को उनका रिपोर्ट पॉजिटिव आया. रंधावा ने कहा कि वह अपनी पॉजिटिव रिपोर्ट देखकर हैरान रह गए. इसके बाद उन्होंने फिर से एक निजी लैब में 27 फरवरी को परीक्षण कराया, जिसमें उसी दिन उनका रिपोर्ट निगेटिव आया. रंधावा ने कहा कि वह सरकारी और निजी प्रयोगशालाओं के विरोधाभासी परिणामों से हैरान थे, इसलिए एक बार और परीक्षण के लिए 27 फरवरी को ही उन्होंने PGIMER चंडीगढ़ में RT-PCR टेस्ट के लिए अपना नमूना दिया. रविवार को प्राप्त रिपोर्ट निगेटिव आया.

अगस्त में पॉजिटिव पाए गए थे

दिलचस्प बात यह है कि रंधावा पिछले साल अगस्त में कोविड-19 के परीक्षण में पॉजिटिव पाए गए थे. वह इस बात से काफी हैरान थे कि पांच महीने पहले ही पॉजिटिव आने के बाद इतने कम समय में फिर से पॉजिटिव कैसे आ गए. क्योंकि इन पांच महीनों में तो उनमें एंटीबॉडी विकसित होनी चाहिए. उन्होंने अपने कैबिनेट सहयोगी स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू को तीनों रिपोर्टें भेजीं और पूछा कि क्या हो रहा है. रिपोर्ट देखकर वह भी हैरान थे.

मंत्री ने कहा कि उनके डॉक्टरों ने भी कहा था कि इतनी जल्दी फिर से पॉजिटिव होना संभव नहीं है. उन्होंने अपने  डॉक्टरों की जिद पर दोबारा जांच करवाने का फैसला किया. उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी लैब से प्राप्त रिपोर्ट में उनके नाम के आगे हाथ से पॉजिटिव लिखा था, जबकि अन्य दो लैब से प्राप्त रिपोर्ट में यह टाइप किया गया था. उन्होंने इसे सरकारी लैब की गंभीर चूक करार दिया. रंधावा ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि यह सब कैसे हुआ. यह पूरी तरह से गड़बड़ रहा है. उन्हें कभी कोई लक्षण नहीं हुआ. पांच महीने पहले ही वह  पॉजिटिव पाए गए थे. फिलहाल वे पूरी तरह स्वस्थ थे. उनका परीक्षण केवल इसलिए हुआ, क्योंकि उन्हें विधानसभा सत्र में भाग लेना था.

परीक्षण में चूक होने की हो रही जांच 

वहीं, चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान विभाग के प्रमुख सचिव डी. के. तिवारी ने कहा कि सरकारी प्रयोगशाला में परीक्षण में कोई चूक होने पर वे जांच कर रहे थे. तिवारी ने कहा कि पंजाब बायोटेक्नोलॉजी इनक्यूबेटर प्रयोगशाला में रंधावा के नमूने का अन्य सभी नमूनों (एमएलए हॉस्टल से लिया गया) के साथ परीक्षण किया गया और परिणाम पॉजिटिव था. तिवारी ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति सुधार की ओर अग्रसर है तो अगले 1-2 दिनों में निगेटिव रिपोर्ट आना संभव है. इसे 'सीटी वैल्यु' कहा जाता है। यदि यह अधिक है तो इसका मतलब है कि वायरल प्रभाव कम है। रंधावा के मामले में यह बहुत अधिक था, जिसका अर्थ है कि उनपर वायरल प्रभाव बहुत कम था.

रंधावा के पॉजिटिव रिपोर्ट हाथ से लिखे होने के बारे में पूछे जाने पर तिवारी ने कहा कि वास्तव में यह प्रशंसा की बात है क्रॉस-चेकिंग के बिना टाइप करने के बजाय कि जल्दी में इसे उचित सत्यापन के साथ सावधानीपूर्वक लिखा गया था. स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि उनका विभाग केवल नमूने एकत्र करता है. परीक्षण उनके सहयोगी ओ. पी. सोनी के विभाग द्वारा किया जाता है. वहीं, सोनी ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी. रंधावा ने उनके साथ इस पर चर्चा नहीं की.

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