Covid-19 Treatment: प्लाज्मा थेरेपी को कोविड के उपचार प्रोटोकॉल से हटाने के बाद अब रेमडेसिविर को भी हटाने पर विचार हो रहा है. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, कोविड-19 के मरीजों के इलाज में उसके प्रभावी होने का सबूत नहीं मिला है. गंगा राम अस्पताल के चेयरपर्सन डॉक्टर डीएस राणा ने कहा, "अगर हम कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल होनेवाली अन्य दवाइयों की बात करें, तो रेमडेसिविर के बारे में इस तरह के सबूत नहीं हैं कि ये कोविड-19 के इलाज में काम करती है." 


प्लाज्मा थेरेपी के बाद अब रेमडिसिविर की बारी


डॉक्टर राणा ने मंगलवार को कहा, "हमने पिछले एक साल में देखा है कि प्लाज्मा देने से मरीज या अन्य लोगों की स्थिति पर कोई अंतर नहीं होता है. इसके अलावा, ये आसानी से उपलब्ध भी नहीं है. प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत वैज्ञानिक आधार पर की गई थी और सबूत के आधार पर हटाई जा रही है."


कोविड के उपचार प्रोटोकॉल से हटाने पर विचार


उन्होंने बताया कि जिन दवाओं का असर नहीं है, उसे हटाया जाना होगा. डॉक्टर राणा के हवाले से कहा गया, "सभी प्रायोगिक दवाएं, चाहे प्लाज्मा थेरेपी हो या फिर रेमडेसिविर, उनमें से सभी को जल्द ही किनारे किया जा सकता है क्योंकि उसके असर का सबूत नहीं मिला है. वर्तमान में अभी तीन दवाइयां काम कर रही हैं. उनका ये भी कहना था, "अभी हम लोग मॉनिटरिंग और परीक्षण कर रहे हैं. मेडिकल जगत ज्यादा जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश कर रहा है, जब तक आपको इस महामारी के बारे में पूरी जानकारी होगी, तब तक मेरा ख्याल है कि ये खत्म हो चुकी होगी."


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इससे पहले सोमवार को ICMR ने कॉनवैलीसेंट प्लाज्मा के इस्तेमाल को कोविड-19 के अनुशंसित उपचार प्रोटोकॉल से हटाने की एडवायजरी जारी की है. इस बीच, IMA ने कोरोना संक्रमण के मध्यम मामलों में प्लाज्मा थेरेपी को अपना समर्थन दिया है और कहा है कि ऐसे मरीजों को प्लाज्मा के इस्तेमाल से कम ऑक्सीजन की जरूत हो सकती है.


IMA के वित्त सचिव डॉ अनिल गोयल ने कहा है कि प्लाज्मा थेरेपी मरीज के तीमारदार की मंजूरी से दी जा सकती है. उन्होंने आगे कहा कि मौत की ऊंची दर इसलिए है क्योंकि मरीज अस्पताल बहुत देर से पहुंच रहे हैं, विशेषकर जो लोग होम क्वारंटीन में हैं. उनकी सलाह है कि ऐसे मरीजों को कोविड-19 अस्पताल में छाती विशेषज्ञ से मिलना चाहिए.