हैदराबाद: कोविड-19 के खिलाफ रूस के विकसित किए गए टीके पर संदेह के बादल मंडरा रहे हैं. भारत की एक प्रतिष्ठित संस्था ने टीके संबंधी पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं होने का हवाला दिया है. उसका कहना है डेटा की अनुपलब्धता के चलते टीके के असरदार होने के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता.


रूस के कोविड टीके पर संदेह के बादल


CSIR- कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (CCMB ) के एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को कहा, "अगर लोग 'भाग्यशाली' रहे तो रूस का टीका प्रभावी साबित होगा." CCMB निदेशक राकेश के मिश्रा ने रूस के टीके के प्रभावी  और सुरक्षित होने के दावे पर टिप्पणी करने को मुश्किल बताया. गौरतलब है कि उनका बयान ऐसे समय में आया है जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को दुनिया को चौंका दिया था. उन्होंने कहा था कि कोविड-19 के खिलाफ रूस ने टीके का विकास कर लिया है और बीमारी से निपटने में ‘बहुत प्रभावी ढंग से’ टीका काम करता है.


भारत की प्रतिष्ठित संस्था ने खड़े किए सवाल


उन्होंने टीके के बारे में ये भी कहा था कि ये ‘एक स्थायी रोग प्रतिरोधक क्षमता’ का निर्माण करता है. इसके साथ ही उन्होंने अपनी एक बेटी को पहले ही टीका लगाए जाने की बात कही. मिश्रा ने कहा, ‘‘टीके के असरदार होने और उसके इस्तेमाल के लिए सुरक्षित होने के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने बताया कि तीसरे चरण में किया जानेवाला परीक्षण उचित तरीके से नहीं किया गया क्योंकि तीसरे चरण में किसी टीके के असरदार होने के बारे में पता चलता है. इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों को टीका लगाया जाता है और दो महीने इंतजार किया जाता है. टीके लगाने के बाद ही पता लगाया जाता है कि वॉलेंटियर संक्रमित हुए हैं या नहीं.’’ गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) समेत अमेरिका भी रूस के दावे पर शक जता चुका है. WHO का कहना है कि टीके पर अभी और जांच की जरूरत है.


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