COVID-19 New Variants: दुनियाभर में कोरोना के मामले बढ़कर 22.24 करोड़ हो गए हैं. इस महामारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 45.9 लाख पहुंच गई है. कोरोना संक्रमण अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है. क्योंकि लगातार कोरोना के नए-नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं. इनमें डेल्टा सबसे प्रमुख वेरिएंट है. कोविड का वेरिएंट 'बी.1.617.2' या 'डेल्टा' का पहला मामला 2020 अंत में भारत में सामने आया था और इसके बाद यह पूरे विश्व में फैल गया. 'डेल्टा' वेरिएंट संभवत: रोग प्रतिरोधक क्षमता निष्क्रिय करने में सक्षम होने की वजह से अधिक संक्रामक है.
- डेल्टा के अलावा कोरोना के दूसरे कई वेरिएंट भी चिंता का कारण बना हुआ है. लैम्बडा वेरिएंट दिसंबर में पेरू में पहली बार पहचाना गया था. शुरुआत में इस वेरिएंट के मामले बढ़े, इसके बाद गिरालट देखी गई.
- म्यू वेरिएंट को पहली बार जनवरी में कोलंबिया में पहचाना गया था. डब्ल्यूएचओ ने कई संबंधित म्यूटेशन के कारण इसे कई रूप में नामित किया है. जैसे- म्यू ई484के, एन501वाई और डी614जी.
- दक्षिण अफ्रीका और कुछ अन्य देशों में पाया गया कोरोना वायरस का एक नया वेरिए सी.1.2 वायरस के पहले के स्वरूपों की तुलना में अधिक संक्रामक हो सकता है. कोरोना वायरस के नए वेरिएंट की उत्परिवर्तन दर वायरस के अन्य स्वरूपों के मुकाबले दोगुणा अधिक है.
अध्ययन में पाया गया कि डेल्टा वेरिएंट पहले से संक्रमित लोगों के ‘सीरा’ की तुलना में 5.7 गुना कम संवेदनशील है और ‘अल्फा’ वेरिएंट की तुलना में टीके के ‘सीरा’ के प्रति आठ गुना कम संवेदनशील है. अन्य शब्दों में, टीका लगे किसी व्यक्ति को इससे संक्रमित होने से रोकने के लिए आठ गुना प्रतिरोधक क्षमता चाहिए.
ब्रिटेन में 'कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय' के प्रोफेसर एवं अध्ययन के वरिष्ठ लेखकों में से एक रवींद्र गुप्ता ने कहा, "भारत में 2021 में संक्रमण की दूसरी लहर के कहर के दौरान इन कारकों की भूमिका बहुत रही होगी, जहां कम से कम आधे मरीज वे थे, जो पहले भी संक्रमण के अन्य स्वरूप की चपेट में आ चुके थे."
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