देश में ओमिक्रोन के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. अब तक देश में कुल 21 ओमिक्रोन वेरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं. इस बीच सोमवार को नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (NTAGI) की 11 बजे बैठक होगी.
बैठक में कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को वैक्सीन की अतिरिक्त डोज और बच्चों की वैक्सीन पर चर्चा की जाएगी. NTAGI ही वैक्सीन पर सारे फैसले करती है. एनालिसिस करने के बाद अपने सुझाव स्वास्थ्य मंत्रालय को देती है, जिस पर अंतिम फैसला स्वास्थ्य मंत्रालय करता है.
अधिकारियों के मुताबिक, वैक्सीन की अतिरिक्त खुराक एक बूस्टर डोज से अलग होती है. अधिकारियों ने समझाया कि ऐसे किसी शख्स को एक पूर्वनिर्धारित अवधि के बाद बूस्टर डोज दी जाती है. जब यह माना जाता है कि शुरुआती वैक्सीनेशन के इम्यूनिटी रेस्पॉन्स में कमी आ गई है, जबकि अतिरिक्त डोज कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को दी जाती है जब शुरुआती वैक्सीनेशन इन्फेक्शन और बीमारी से पर्याप्त सुरक्षा नहीं देता.
हाल ही में, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने औषधि नियामक से कोरोना वायरस के खिलाफ बूस्टर खुराक के रूप में कोविशील्ड के लिए मंजूरी मांगी थी.
एसआईआई में सरकार और नियामक मामलों के निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को एक अर्जी में कहा था कि ब्रिटेन के औषधि एवं स्वास्थ्य देखभाल उत्पाद नियामक एजेंसी ने पहले ही एस्ट्राजेनेका सीएचएडीओएक्स1 एनसीओवी-19 टीके के बूस्टर खुराक को मंजूरी दे दी है. उन्होंने साथ ही यह भी कहा गया कि भारत में कोविशील्ड की कोई कमी नहीं है और नए स्वरूपों के सामने आने के मद्देनजर बूस्टर खुराक की मांग उन लोगों के लिए है जो पहले से ही दो खुराक ले चुके हैं.
29 नवंबर के अपने बुलेटिन में, भारतीय सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम’ (आईएनएसएसीओजी) ने 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए कोविड-19 टीकों की बूस्टर खुराक की सिफारिश की थी, जिसमें उनलोगों को पहली प्राथमिकता दी जाए जिनके संक्रमित होने का खतरा सबसे अधिक है.
हालांकि, शनिवार को इसने कहा कि इसकी सिफारिश राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के लिए नहीं थी क्योंकि इसके प्रभाव का आकलन के लिए कई और वैज्ञानिक प्रयोगों की जरूरत है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बूस्टर खुराक के संबंध में हाल ही में लोकसभा को बताया था कि टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) और कोविड-19 टीकाकरण पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (एनईजीवीएसी) इस पहलू से संबंधित वैज्ञानिक प्रमाणों पर विचार कर रहे हैं.
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