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कोविड के बढ़ते केसों से ड्रैगन कर रहा इनकार, लेकिन चीन के श्मशान घाटों में मचा है हाहाकार

दुनिया में तूफान ला देने वाली कोरोना महामारी के केंद्र चीन में कोविड के केस बढ़ने लगे हैं और वो बुरा दौर फिर न झेलना पड़े इसके लिए भरसक कोशिशें की जा रही हैं. सभी देशों की सरकारें अलर्ट मोड में हैं.

भले ही चीन लाख इंकार कर ले, लेकिन वहां कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इस देश के हालात पूरी दुनिया को चिंता में डाले हुए हैं. मरीजों की बढ़ती संख्या को इलाज मुहैया कराने के लिए अस्पताल जूझ रहे हैं तो फार्मेसी की सेल्फ और अलमारियां खाली हो गई हैं. यहां इस तरह के हालात चीनी सरकार के अचानक से लॉक डाउन, क्वारंटीन, मास टेस्टिंग खत्म करने के फैसले की वजह से पैदा हुए हैं.

उधर यूएस ने आगाह किया है कि चीन में बढ़ता जा रहा बीमारी का ये प्रकोप बाकी दुनिया के लिए चिंता का विषय है. यूएस का कहना है कि वहां की आबादी को देखते हुए वायरस के म्यूटेशन की आशंकाएं अधिक हैं. चीन के श्मशान घाट भी इससे अछूते नहीं हैं. मौतों की बढ़ती संख्या की वजह से वहां कर्मचारियों को व्यवस्था को दुरुस्त करना भारी पड़ रहा है. वहीं इस सबके बीच भारत सहित दुनिया के सभी देश अलर्ट पर हैं. 

ऐसे हैं चीन के मौजूदा हालात

कोविड के बढ़ते मामलों से जूझ रहे चीन के श्मशान लगातार शवों की आमद से निपटने के दबाव में हैं. वहीं चीनी अधिकारियों का कहना है कि हालात इस हद तक बिगड़ चुके हैं कि इन मामलों को ट्रैक करना तक मुश्किल है. न्यूज एजेंसी एएफपी को श्मशान घाट के कर्मचारियों ने बताया कि चीन के पूर्वोत्तर से लेकर इसके दक्षिण-पश्चिम तक मौतों में बढ़ोतरी की वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड रहा. श्मशान घाट के एक कार्यकर्ता का कहना था कि शवों को रखने के लिए उनके श्मशान में जगह तक नहीं बची.

गौरतलब है कि इस सप्ताह 3 करोड़ की आबादी वाले चोंगकिंग शहर में हल्के कोविड लक्षणों वाले लोगों से काम पर आने को कहा गया था. इस शहर के श्मशान घाट के एक कर्मचारी ने नाम जाहिर किए बगैर एएफपी को बताया, "हाल के दिनों में लाशों की संख्या पहले के मुकाबले कई गुना अधिक है." उसने आगे कहा, "हम बहुत व्यस्त हैं, शवों के लिए कोल्ड स्टोरेज में जगह तक नहीं बची है." इसके साथ ही उसने ये भी कहा कि हमें ये पक्का नहीं है कि ये कोविड से होने वाली मौतें ही है. इसके लिए आपको नेताओं से पूछने की जरूरत है.

उधर दूसरी तरफ ग्वांगझू के दक्षिण मेगापोलिस के ज़ेंगचेंग जिले के  श्मशान घाट के एक कर्मचारी ने एएफपी को बताया कि वो लोग एक दिन में 30 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. कर्मचारी ने बताया, "हमें अन्य जिलों से भी लाशें अंतिम संस्कार के लिए सौंपी गई हैं. कोई अन्य विकल्प नहीं है."

वहीं शहर के एक अन्य श्मशान घाट के कर्मचारी का कहना था कि "बेहद व्यस्त" चल रहे हैं. इस कर्मचारी ने बताया, "बीते साल के मुकाबले हम लोग तीन से चार गुना अधिक बिजी है, हम रोजाना 40 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं, जबकि पहले यह केवल एक दर्जन था." इस कर्मचारी ने आगे कहा कि पूरे ग्वांगझू में हालात ऐसे ही बने हुए हैं हालांकि ये कहना मुश्किल है कि लाशों की संख्या में ये बढ़ोतरी कोविड की वजह से है. 

पूर्वोत्तर शहर शेनयांग में, एक अंतिम संस्कार सेवा कारोबार के एक स्टाफ सदस्य का कहना था कि मरने वालों की लाशों को बगैर दफनाए 5 दिनों तक बाहर ही रखा गया था, क्योंकि श्मशान पहले से ही पूरी तरह से भरे हुए हैं. जब इस सदस्य से  एएफपी ने  सवाल किया गया कि कोविड की वजह से लाशों में ये बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है तो उसने उलटा सवाल करते हुए कहा, "आपको क्या लगता है? मैंने इस तरह का साल पहले कभी नहीं देखा है."

उधर चीन की राजधानी बीजिंग के श्मशान घाटों का नजारा भी कुछ अलग नहीं है. यहां के श्मशान घाटों के कर्मचारियों का  कहना है कि वो परेशान हैं क्योंकि चीन कोविड केसों में लगातार बढ़ोतरी का सामना कर रहा है, अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि आने वाले पब्लिक हॉलीडेज के दौरान इसके अविकसित ग्रामीण इलाकों में हालात बिगड़ सकते हैं.

ड्रैगन का देश कर रहा इंकार 

वायरस के वजह से होने वाली मौतों को रिकॉर्ड करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मानकों को बदलने के बाद, चीन ने कहा कि कोई नई मौत दर्ज नहीं की गई है, जो यहां खचाखच भरे श्मशानों की रिपोर्ट के बिल्कुल उलट है.

चीन में अस्पताल हों, मेडिकल स्टोर हों या फिर श्मशान घाट हर जगह हाहाकार मचा हुआ है. यहां अस्पतालों में जगह और दवाइयों की कमी है तो मेडिकल स्टोर और श्मशान घाट के बाहर लोगों की कतारें बगैर कुछ कहें ही बहुत कुछ कह रही हैं.

राजधानी बीजिंग के डोंगजियाओ शवदाह गृह के बाहर एएफपी के पत्रकारों ने एक दर्जन से अधिक वाहनों को अंदर जाने के लिए इंतजार करते देखा. इनमें से अधिकतर खुली हुई ताबूत गाड़ियां और अंत्येष्टि कोच थे. लाशों की बढ़ी हुई संख्या की वजह से देरी होना स्वाभाविक था.

इस कतार में खड़े एक ड्राइवर का कहना था कि वो कई घंटों से इंतजार कर रहा है. यह साफ नहीं हो सका कि कोविड की मौतों में बढ़ोतरी बैकलॉग की वजह बन रही है. इस मामले में श्मशान के कर्मचारियों ने सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया.

चीन में कोविड के पता लगाने के जरूरी परीक्षण को खत्म कर दिया गया है. इस वजह से यहां  कोविड के उछाल को ट्रैक करना मुश्किल हो गया है, पिछले हफ्ते चीनी अधिकारियों ने माना है कि कितने लोग कोविड की गिरफ्त में हैं इसका पता लगाना अब मुश्किल है.

बीजिंग में लोकल अधिकारियों ने मंगलवार 20 दिसंबर को कोविड -19 से केवल 5 मौत होने की बात कही थी. यहां के अधिकारियों के मुताबिक इससे पहले सोमवार 19 दिसंबर को दो मौतें और इससे पहले के दो हफ्तों में कोविड से कोई मौत दर्ज नहीं की गई थी. 

कोरोना के इस प्रकोप के बीच बीजिंग के स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंगलवार 20 दिसंबर को कहा था कि सांस की बीमारियों से होने वाली मौतों को ही कोरोना वायरस से होने वाली मौतों के दायरे में रखा जाएगा. इस वजह से यहां अब कोरोना वायरस से होने वाली मौत के आंकड़ों का सटीक अनुमान लगा पाना भी मुश्किल हो गया है. 

चीन में कोविड की मौतों के हिसाब लगाने का ये पैमाना विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों से अलग है. इस वजह से ही चीन में कोविड से मरने वाली की संख्या दुनिया के अन्य देशों से कम दिखती है. चीन इस बीमारी से होने वाली मौंतों और उनका लेखा-जोखा तैयार करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाता है.

इस वक्त यहां कोरोना के ओमिक्रॉन (BF.7) वैरिएंट का प्रकोप चरम हैं. इस देश ने बीते दिनों लोगों के विरोध के चलते कोविड की रोकथाम के लिए लगाए गए प्रतिबंधों को हटाया था. यहां के स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि वैरिएंट BA.5.2 और BF.7 की वजह से यहां कोरोना केसों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है.

पेकिंग यूनिवर्सिटी फर्स्ट हॉस्पिटल केवांग गुईकियांग ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "वर्तमान में ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित होने के बाद मौत की मुख्य वजह पहले से ही लोगों में मौजूद हृदय रोग, मधुमेह जैसी बीमारियां बनी हुई हैं." 

उन्होंने कहा, "बूढ़े लोगों में अन्य तरह की सेहत संबंधी परेशानियां होती हैं, केवल बहुत कम संख्या में ही कोविड के संक्रमण की वजह से होने वाली सांस की बीमारियों से सीधे मौत होती है. हम कोविड के खतरों से नहीं बच रहे हैं. साथ ही हमें वैज्ञानिक तरीके से कोविड के खतरों का आकलन करने की जरूरत है."

दुनिया को है वायरस के म्यूटेशन का खतरा 

अमेरिकी विदेश विभाग ने सोमवार को कहा कि चीन के कोविड केसों में ये उछाल अब अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय है. चीन के आकार और यहां के सकल घरेलू उत्पाद के आकार को देखते हुए वायरस की ये मार बाकी दुनिया के लिए चिंता का विषय है.

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, "हम जानते हैं कि किसी भी वक्त वायरस फैल रहा है यह पूरी तरह से जंगली हो चुका है, इसमें खुद को बदलने यानी म्यूटेट होने और हर जगह लोगों के लिए खतरा पैदा करने की क्षमता है." 

अमेरिकी अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि चीन वहां के हालातों के बारे में जल्द सही जानकारी देगा, जिससे अन्य देश भी सतर्क हो सकें. उनका कहना है कि यदि सुरक्षात्मक उपाय नहीं किए गए तो वायरस फिर से पूरी दुनिया को जोखिम में डाल सकता है.

चीन में कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सलाहकारों ने रॉयटर्स को बताया कि कोविड-19 महामारी के इमरजेंसी फेज के खात्मे का ऐलान करना जल्दबाजी होगी.

डब्ल्यूएचओ की कोविड से संबंधित समिति में शामिल विषाणु विज्ञानी मैरियन कोपमैन्स ने कहा, "सवाल यह है कि क्या आप इसे महामारी के बाद के हालात कह सकते हैं जब दुनिया का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा वास्तव में महामारी की अपनी दूसरी लहर में प्रवेश कर रहा है. यह साफ है कि हम एक बहुत अलग तरह के फेज (महामारी के) में हैं. लेकिन मेरे दिमाग में, चीन में महामारी की लंबित लहर एक वाइल्ड कार्ड है."

डब्ल्यूएचओ  प्रमुख टेड्रोस एडहनॉम गिब्रयेसॉस  चीन में कोविड के हालातों को लेकर चिंता में हैं. उन्होंने कहा कि वह बुधवार को चीन में कोविड मामलों की अभूतपूर्व लहर को लेकर "बेहद परेशान" थे और बीजिंग से स्थिति की गंभीरता के बारे में विस्तृत जानकारी देने को कहा है.

उन्होंने कहा, "हम चीन से डेटा साझा करने और हमारे अनुरोध के मुताबिक इस वायरस पर स्टडी करने को लगातार कहते रहेंगे. जैसा कि मैंने पहले भी कई बार कहा है कि कोविड 19  महामारी की उत्पत्ति के बारे में सभी भ्रांतियों पर अभी काम किए जाने की गुंजाइश बनी हुई है.

जब दिसंबर की शुरुआत में चीन ने अपनी शून्य-कोविड नीति में ढील दी, तो अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने चेतावनी दी थी कि चीनी आबादी में बड़े पैमाने पर प्रकोप होगा. उनका अनुमान था कि पर्याप्त झुंड प्रतिरक्षा (Herd Immunity) या वैक्सीन सुरक्षा की कमी से ऐसा होगा. 

हेल्थ डेटा (Healthdata.org) का प्रकाशित एक सांख्यिकीय मॉडल भविष्यवाणी करता है कि अप्रैल 2023 तक 300,000 लोग COVID-19 संक्रमण से मर सकते हैं और साल के आखिर तक 1.6 मिलियन लोग मर सकते हैं.

जर्मनी में वुजबर्ग विश्वविद्यालय में चीन की स्टडी के विशेषज्ञ  ब्योर्न एल्परमैन ने कहा, "संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है और अस्पताल हैरान हैं. यह काफी हद तक तय है कि हालात काबू से  बाहर हो रहे हैं, कम से कम बीजिंग और अन्य बड़े शहरों में."

दुनिया में बढ़ रहे हैं कोरोना के केस

दुनिया में कोरोना के केसों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. बीते एक हफ्ते में ही दुनिया में कोरोना के 36 लाख केस दर्ज किए गए हैं. लगभग 10 हजार लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं. चीन की नहीं बल्कि अर्जेंटीना, ब्राजील, फ्रांस, अमेरिका, साउथ कोरिया और जापान में कोरोना वायरस के केसों में तेजी से उछाल आ रहा है.

भारत ने किया अलर्ट जारी

भारत में कोविड केसों की बात करें तो बीते 24 घंटे में महज 131 केस दर्ज किए गए हैं, लेकिन चीन में अचानक केसों में बढ़ोतरी के लिए जवाबदेह कोविड-19  के ओमिक्रॉन वैरिएंट BF.7 ने भारत में पहले ही अपनी जगह बना ली है. देश में ऐसे 3 मामलों का पता चला है. 

अमेरिका, ब्रिटेन और बेल्जियम, जर्मनी, फ्रांस और डेनमार्क जैसे यूरोपीय देशों सहित कई अन्य देशों में वैरिएंट का पहले ही पता लगाया जा चुका है. गुजरात जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र ने अक्टूबर में भारत में BF.7 के पहले केस का पता लगाया था.

पीटीआई की एक रिपोर्ट में बुधवार को कहा गया है कि अब तक गुजरात में इसके दो मामले सामने आए हैं जबकि एक मामला ओडिशा से सामने आया है. भारत में इस वैरिएंट के 3 मामलों का पता चलने के बावजूद, देश में कोविड कुल मामलों में उछाल नहीं देखा गया है.

हालांकि चीन में कोविड के हालातों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया भी बुधवार 21 दिसंबर को भारत के हालातों पर एक समीक्षा बैठक की. उन्होंने सभी को सतर्क रहने सावधानी बरतने के निर्देश दिए.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश किसी भी तरह के हालातों से निपटने के लिए तैयार है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने राज्य सरकारों से जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशालाओं को प्राथमिकता के आधार पर कोविड पॉजिटिव केसों के नमूने जमा करने के लिए कह रही है.

वहीं नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल के मुताबिक केवल 27-28 फीसदी लोगों ने कोरोना की एहतियाती खुराक ली है. उन्होंने अन्य लोगों खासकर वरिष्ठ नागरिकों से अपील की है कि वे एहतियाती खुराक लें. 

स्वास्थ्य मंत्रालय ने खतरनाक वैरिएंट BF.7 के संक्रमण को देखते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को खास सावधानी बरतने का निर्देश दिया है. मौजूदा वक्त में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय भारतीय सार्स-कोवि-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम-आईएनएसएसीओजी (Indian SARS-CoV-2 Genomics Consortium-INSACOG) देश में कोरोना के मामलों पर नजर रखे हुए हैं. 

स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से भारत में कोविड को लेकर देश के सभी अहम इंटरनेशनल और डोमेस्टिक एयरपोर्ट्स पर निगरानी बढ़ाने, विदेशों से आने वाले लोगों की सख्ती से जांच और नए वेरिएंट की पहचान के लिए तमाम तरह की सुविधाएं देने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं.

इसके साथ ही नए साल का जश्न मनाकर विदेशों से देश में लौटने वाले भारतीयों के लिए प्रोटोकॉल तैयार किया गया है ताकि कोरोना के लक्षण मिलते ही उनके सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे जा सकें.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मंगलवार 19 दिसंबर को सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों की सरकारों को पत्र भेजने के बाद सब हरकत में आ गए हैं. देश की राजधानी से लेकर यूपी, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल,अरुणाचल, हिमाचल, चंडीगढ़, बिहार, केरल सभी राज्यों में लोगों को हिदायतें देने के साथ इंतजाम किए जा रहे हैं.

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