Corona Delta Variant: जब से कोरोना महामारी का जन्म हुआ है तब से अब तक कोरोना वायरस के 400 से ज्यादा वेरिएंट दुनियाभर में मिल चुके हैं. इनमें अल्फा, बीटा, डेल्टा, ओमिक्रोन वेरिएंट को ज्यादा खतरनाक माना गया है. एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि डेल्टा वेरिएंट गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा जोखिम भरा है. डेल्टा की वजह से अस्थानिक (एक्टोपिक) गर्भावस्था का खतरा तीन गुना तक बढ़ गया.
आईसीएमआर (ICMR) के वैज्ञानिकों ने 1660 गर्भवती महिलाओं पर अध्ययन किया है. ये अध्ययन पहली और दूसरी कोरोना लहर के दौरान मुंबई के बीवाईएल नायर अस्पताल में किया गया. एक रिपोर्ट के अनुसार, आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ राहुल भजभिए का कहना है कि जब साल 2020 में महामारी की पहली लहर आई तो उस दौरान एक हजार गर्भवती महिलाओं में से 6 में अस्थानिक गर्भावस्था का जोखिम होता था. जब महामारी की दूसरी लहर आई और डेल्टा वेरिएंट का प्रसार हुआ तो प्रति हजार में से 18 और 19 महिलाओं में अस्थानिक गर्भावस्था का जोखिम था. यानी कि डेल्टा वेरिएंट की वजह से अस्थानिक गर्भावस्था का जोखिम तीन गुना तक बढ़ गया.
कोविड संक्रमण से बढ़ता है प्री-एक्लेमप्सिया का खतरा-अध्ययन
वहीं एक दूसरे अध्ययन के अनुसार, जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान कोविड संकमित होती हैं, उनमें प्री-एक्लेमप्सिया विकसित होने का काफी अधिक जोखिम होता है. यह बीमारी दुनिया भर में मातृ और शिशु मृत्यु का प्रमुख कारण है. प्री-एक्लेमप्सिया गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद रक्तचाप में अचानक वृद्धि है.
अमेरिकन जर्नल ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान सॉर्स कोव 2 संक्रमण वाली महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान संक्रमण के बिना प्रीक्लेम्पसिया विकसित होने की संभावना 62 प्रतिशत अधिक होती है. 36 नवजात शिशुओं, जिनकी माताओं को गर्भावस्था के दौरान फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्न कोविड -19 वैक्सीन प्राप्त हुई थी, उसके अध्ययन से पता चला कि 100 प्रतिशत शिशुओं में जन्म के समय सुरक्षात्मक एंटीबॉडी थे.
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