Coronavirus In Delhi: दिल्ली (Delhi) में कोविड मरीज़ों (Covid) से जुड़े बेड भी भरने लगे है. हालांकि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन (Satyendra Jain) ने कहा कि दिल्ली में बहुत बेड्स के मुकाबले अभी बहुत कम कोरोना (Corona) मरीज़ भर्ती हैं. उन्होंने कहा कि ज़्यादातर कोरोना मरीजों (Corona Patients) में हल्के लक्षण देखने को मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि ज्यादातर मरीज होम आइसोलेशन (Home Isolation) में है और अभी सरकारी अस्पतालों (Hospital) में सिर्फ़ 2 से 5 फ़ीसदी के आसपास ही बेड्स भरे हुए हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे में घबराने जैसी स्थिति बिल्कुल नहीं है.


सत्येन्द्र जैन ने कहा कि अब तक अस्पतालों में 531 मरीज़ भर्ती हुए हैं जिसमें से 41 संदिग्ध थे और 8 लोग एयरपोर्ट से आये थे. सत्येन्द्र जैन ने कहा कि इनमें से आधे मरीज़ प्राइवेट में है और आधे सरकारी अस्पतालों में भर्ती हैं. हालांकि दिल्ली सरकार ने अलग-अलग अस्पतालों में कोविड मरीज़ों के लिये बेड की रियल टाइम जानकारी के लिए एप तैयार किया है.


दिल्ली कोरोना एप के मुताबिक 5 जनवरी दोपहर 3 बजे तक अलग-अलग अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर बेड की स्थिति इस प्रकार है-


1- दिल्ली के अस्पतालों में फ़िलहाल 10531 ऑक्सीजन बेड्स हैं. उनमें से 843 बेडस पर कोरान मरीज़ भर्ती हैं. जबकि 9688 ऑक्सीजन बेडस ख़ाली हैं.


2- दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में 3157 आईसीयू बेड्स मौजूद हैं जिसमें 227 आईसीयू बेडस पर कोरोना मरीज़ भर्ती हैं. 2930 आईसीयू बेडस ख़ाली है.


3- अलग-अलग अस्पतालों में 1412 वेंटिलेटर मौजूद हैं. इनमें से 78 वेंटिलेटर बेड्स पर मरीज़ भर्ती है, जबकि 1334 वेंटिलेटर बेड्स ख़ाली है.


4- अलग-अलग अस्पतालों में कोरोना मरीज़ों के लिये 11181 सामान्य कोरोना बेड्स मौजूद हैं. इनमें से 868 बेडस पर मरीज़ भर्ती हैं, जबकि 10313 सामान्य कोरोना बेडस ख़ाली हैं.


दिल्ली स्थित लोक नायक अस्पताल (एलएनजेपी) के डायरेक्टर डॉ सुरेश कुमार ने इन तेज़ी से बढ़ते मामलों पर चिंता ज़ाहिर की है. उन्होंने कहा कि कल 8 परसेंट से भी ज्यादा पॉजिटिविटी थी आज उससे भी ज्यादा पॉजिटिविटी आ रही है. इसका मतलब यह है कि मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसमें मेजर कंट्रीब्यूटर ओमिक्रॉन है. लेकिन ज्यादातर मरीज स्टेबल हैं, हालांकि सर्दी के समय में बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और को-मॉर्बिड जैसे कैंसर पेशेंट, COPD मरीज या रेस्प्रेटरी फेल्योर वालों के लिए यह चिंता का विषय है. इससे अस्पतालों में एडमिशन बढ़ेगा. बच्चों में भी संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं.