भारत को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. अब देश में कोरोना वायरस के ज्यादा से ज्यादा सैंपल टेस्ट करने में सक्षम हो गया है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने ज़ीडस कैडिला द्वारा बनाई गई एंटीबॉडी टेस्टिंग किट के पहले बैच को मंजूरी दे दी है. इस किट को 'कोविड कवच एलिसा' नाम दिया गया है. इसे पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी में बनाया गया है. ये किट्स भारत के मरीजों से वायरस को आइसोलेट कर बनाई गई हैं.
आईसीएमआर के बयान के मुताबिक, एलिसा किट्स का इस्तेमाल स्वास्थ्य मंत्रालय के देशव्यापी सर्वे में होगा. ये किट एक मरीज के ठीक होने के बाद दिखाई देने वाले एंटीबॉडी के फैलने का पता लगाएगी. आईसीएमआर देश के 69 जिलों में 24,000 व्यक्तियों की टेस्टिंग करेगा. परिषद ने अपने बयान मे कहा, 'सार्स-कोव 2 के उपचार का पता लगान के लिए आरटी-पीसीआर सबसे प्राथमिक टेस्ट है, संक्रमितों जनसंख्या के अनुपात को समझने और उनकी निगरानी के लिए यह एक महत्वपूर्ण एंटीबॉडी टेस्टिंग है. '
एलिसा एंटीबॉडी टेस्ट ब्लड बैंक भी हो सकता है तैयार
एलिसा एंटीबॉडी टेस्ट पहले इस्तेमाल किए गए रेपिड एंटीबॉडी टेस्ट से अलग हैं. डब्ल्यूएचओ ने एलिसा को 'बहुत सेंसिटिव और स्पेसिफिक' टेस्ट कहा है जो प्रति दिन बड़ी संख्या में सैंपल के टेस्ट के लिए उचित है. इसके साथ ही सर्विलांस स्टडीज या फिर ब्लड बैंक तैयार करने में भी इनका इस्तेमाल किया सकता है.
दो और कंपनियों से किट बनाने की बात
आपको बता दें कि जीडस-कैडिला पहली ऐसी कंपनी है जिसने इस टेस्ट किट को बनाने के लिए समझौता किया था. आईएमसीआर ने का कहना है कि अब आयोग सिप्ला प्राइवेट लिमिटेड और नेक्स्टजेन लाइफ साइंसेज से भी इस तरह की किट बनाने के लिए बात कर रहा है.