(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Covid-19 New Variant: 'अस्पतालों में भर्ती होने वालों की संख्या में होगा इजाफा', WHO की पूर्व चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन की वॉर्निंग
Covid Sub Variant JN.1: कोविड के नए सब-वेरिएंट जेएन.1 की वजह से देशभर में एक बार फिर से कोविड केस रिपोर्ट किए जा रहे हैं. इस सब-वेरिएंट के 21 केस रिपोर्ट किए गए हैं.
India Covid: भारत में एक बार फिर से कोविड के केस बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं. कोरोनावायरस के ओमिक्रोन वेरिएंट के सब-वेरिएंट जेएन.1 के मामले देश में सामने आए है. इस नए सब-वेरिएंट की वजह से देश में कोविड-19 के मामले बढ़ते हुए रिपोर्ट हुए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएच) को पूर्व चीफ साइंटिस्ट डॉ सौम्या स्वामिनाथन ने चेताया है कि जैसे-जैसे कोविड के मामले बढ़ेंगे, वैसे-वैसे अस्पताल में भर्ती होने की दर यानी हॉस्पिटलाइजेशन भी बढ़ेगा.
एनडीटीवी से बात करते हुए डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने चेतावनी दी है कि कोविड को सामान्य सर्दी के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि इसका लंबा प्रभाव हो सकता है, जिसमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक और मानसिक समस्याएं हो सकती हैं. हालांकि, उनका ये भी कहना है कि शायद हमें बहुत ज्यादा हॉस्पिटलाइजेशन देखने को भी नहीं मिला, क्योंकि भारत में वैक्सीनेशन रेट ज्यादा है. हेल्थकेयर सिस्टम भी 2020 के बाद से काफी सुधर गया है.
कोविड अभी भी ग्लोबल खतरा
ऑफिशियल डाटा के मुताबिक, भारत में जेएन.1 सब-वेरिएंट के अब तक 21 केस सामने आए हैं, जिसमें से 19 गोवा में और महाराष्ट्र-केरल में एक-एक केस रिपोर्ट हुआ है. जब डॉ सौम्या से सवाल किया गया कि कोच्चि के अस्पताल में सामने आए 30 फीसदी केस कोविड के तौर पर दर्ज हुए हैं. क्या भारत के अन्य हिस्सों में भी ऐसा होने की संभावना है. वर्तमान में जेएन.1 सब-वेरिएंट को 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के तौर पर क्लासिफाई किया गया है.
इस पर उन्होंने कहा कि हमने पहले भी इस तरह के हालातों का सामना किया है. इस बात की उम्मीद थी और डब्ल्यूएचओ ने भी इस बारे में बात की थी. भले ही डब्ल्यूएचओ चीफ टेड्रोस ग्रेबेसियस ने इस साल मई में ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी के खत्म होने का ऐलान किया, मगर उन्होंने कहा था कि ये अभी भी ग्लोबल खतरा है. ऐसा ही हमें देखने को मिल रहा है. हम देख रहे हैं कि जेएन.1 के तौर पर नया वेरिएंट सामने आया है, जो ओमिक्रोन को सब-वेरिएंट है.
ज्यादा केस आने से अस्पताल में भर्ती होने की दर बढ़ेगी
डॉ सौम्या ने तैयारियों को बढ़ाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि ऐसा होगा कि आपको हर रोज हजारों नए केस रिपोर्ट होंगे, जिसमें से कुछ फीसदी लोगों को या कहें एक फीसदी को अस्पताल में भर्ती करना पड़ेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि वे बहुत ज्यादा बीमार पड़ जाएंगे. उन्होंने कहा कि अगर एक लाख केस रिपोर्ट होते हैं, तो इसका मतलब हुआ कि बहुत ज्यादा लोग गंभीर तौर पर बीमार होंगे और उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ेगी.
डब्ल्यूएचओ की पूर्व चीफ साइंटिस्ट ने कहा कि खासतौर पर उन लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ेगी, जिनकी उम्र 65 साल से ज्यादा है और वे किसी बीमारी से पहले ही जूझ रहे हैं. यही वजह है कि हमें अभी से ही तैयारी करनी होगी और सावधानी बरतना शुरू करना होगा, ताकि उन लोगों को बचाया जा सके, जिनके बीमार होने का खतरा ज्यादा है. अगर उन्हें निमोनिया भी होता है, तो अस्पताल में भर्ती की जरूरत पड़ सकती है.
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