नई दिल्ली: 15वें वित्त आयोग द्वारा गठित उच्च स्तरीय स्वास्थ्य पैनल ने कहा कि देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग समय पर कोविड-19 पीक पर पहुंच सकता है. इसके साथ ही पैनल ने राज्यों को स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने के लिए कहा है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डायरेक्टर व 15वें वित्त आयोग द्वारा गठित उच्च स्तरीय स्वास्थ्य पैनल के संयोजक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने एक तंत्र की आवश्यकता को रेखांकित किया, जिससे जनशक्ति और उपकरणों जैसे स्वास्थ्य संसाधनों को ज़रूरत के अनुसार एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित किया जा सके.


उन्होंने कहा कि कुछ राज्य कोरोना के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं जबकि कुछ अन्य राज्यों के सामने बड़ी चुनौतियां हैं. एक सांख्यिकीय विश्लेषण के आधार पर पैनल ने कहा कि अब तक महामारी का रास्ता राज्यों में अलग-अलग था. अभी फिलहाल महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, बंगाल और दिल्ली में कोरोना के सक्रिय मामलों की एक बड़ी संख्या है. वहीं आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और केरल जैसे राज्यों में संक्रमितों की संख्या में गिरावट आई है. कुल मिलाकर, 14 मई से 18 मई तक संक्रमणों में औसत दैनिक विकास दर लगभग 5.1% थी.


ICMR के महानिदेशक ने कहा- आगे बढ़ सकते हैं कोरोना संक्रमण के मामले


इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा कि कोविड-19 के मामलों में अभी उतनी तेज़ी नहीं आई है, आगे जाकर इस माहमारी के मामलों में और भी इज़ाफा हो सकता है. हालांकि, उनका मानना है कि मौत के आंकड़ों पर फिलहाल नियंत्रण है. मृत्यु दर को 5% से कम रखना महत्वपूर्ण है. उन्होंने आगे चेतावनी देते हुए कहा कि अगर प्रति दिन मौतों की संख्या 1,000-2000 हो गई तो सरकार के लिए यह खतरनाक होगा.


ICMR ने सरकार से की थीं ये सिफारिशें


ICMR ने यह भी नोट किया कि महाराष्ट्र और गुजरात को छोड़कर ट्रेस, ट्रैक और ट्रेस एंड ट्रीट ’की वर्तमान रणनीति अच्छी तरह से काम कर रही है। पिछले महीनें इस पैनल ने सरकार से तीन व्यापक समूहों में सिफारिशें की थीं. पहली- बहुत कम, दूसरी- लघु और तीसरी- मध्यम अवधि के उपाय.


पहली सिफारिश में बहुत ही अल्पकालिक उपायों में निगरानी, ​​नियंत्रण, लागत प्रभावी दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना, ग्रामीण मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयों और वेंटीलेटर, पीपीई, मास्क, निरंतर ऑक्सीजन की आपूर्ति और उपकरण की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए तेजी से परीक्षण शामिल थे.


दूसरी सिफारिश में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 'प्रकोप प्रबंधन योजना' और एक वैकसीन के विकास के वित्तपोषण शामिल हैं. पैनल ने स्वास्थ्य पर बढ़ते निवेश का सुझाव दिया. स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी को दूर करते हुए, आयुष्मान भारत के तहत शेष 60% आबादी को कवर करने की संभावनाएं तलाशने और तीसरी सिफारिश में भारतीय सिविल सेवा की तर्ज पर एक अखिल भारतीय चिकित्सा सेवा के निर्माण की संभावना व्यक्त की.


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