Covid 19 India: अस्पताल ही बना एग्जाम हॉल, संक्रमित स्टूडेंट दे रहे परीक्षा, पॉजिटिव मरीजों की यहां लगी ड्यूटी
Hospital Will Convert in Exam Hall: गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज मेडिकल कॉलेज का अस्पताल पूरी तरह से कोविड अस्पताल है. यहां कोविड टेस्टिंग की पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी लैब भी है.
Covid Positive Students Will Give Exam: दुनिया का सबसे अनोखा एग्जाम, जहां परीक्षार्थी और परीक्षक दोनों ही कोरोना संक्रमित हैं. कई MBBS के मेडिकल इंटर्न (एमबीबीएस सेकेण्ड और थर्ड इयर स्टूडेंट) कोविड ड्यूटी की वजह से संक्रमित हो चुके हैं. ये अस्पताल में भर्ती हैं और इनका यहीं एग्जाम चल रहा है. अगर ये एग्जाम नहीं देंगे तो कोविड की अगली ड्यूटी मिलने में दिक्कत आ सकती है. इसलिए इन मेडिकल स्टूडेंट्स ने परीक्षा देने का फैसला किया है. प्रशासन ने इनके लिए इंतजाम करवाया है. इनके परीक्षक भी वही हैं, जो संक्रमित हैं.
गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज मेडिकल कॉलेज पूरी तरह से कोविड अस्पताल है. यहां कोविड टेस्टिंग की पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी लैब भी है. कोविड टेस्ट करवाने वाले और संक्रमितों का इस वक्त यहां तांता लगा हुआ है. वहीं कोविड वार्ड के अंदर अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद मेडिकल इंटर्न किताब खोल कर पढ़ाई कर रहे हैं. जिस आइसोलेशन वार्ड में कई कोविड संक्रमितों का हौसला टूट जाता है, बीमारी का डर उनसे दूर नहीं जा पाता, वहां डॉक्टर संक्रमित होने के बावजूद अपना एग्जाम देकर कोविड संक्रमितों का इलाज करने की तैयारी कर रहे हैं.
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एमबीबीएस सेकेण्ड और थर्ड इयर के छात्र मेडिकल इंटर्न हैं. इनकी परीक्षाएं चल रही हैं, अगर ये परीक्षा नहीं देंगें तो इनको अस्पताल में ड्यूटी नहीं मिलेगी. इसलिए ये एक्जाम पास करने के लिए पढ़ाई कर रहे हैं. गवर्मेन्ट इन्सटीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज के डायरेक्टर डॉक्टर राकेश गुप्ता के मुताबिक बच्चों ने कहा कि वो एग्जाम देंगे. उनका हौसला वाकई तारीफ लायक है. हमने सुविधा मुहैया करवाई है.
डॉक्टर राकेश गुप्ता ने कहा है कि हमने उन्हीं परीक्षकों की ड्यूटी लगाई, जो संक्रमित हैं और यहां भर्ती हैं. शायद ये दुनिया का पहला ऐसा एग्जाम होगा, जहां कोविड संक्रमित परीक्षा दे और कोविड संक्रमित ही उसकी परीक्षा ले. इसके पीछे की कहानी आपको जरूर जाननी चाहिए. ऐसा इसलिए हो रहा है, ताकि जब कोविड की तीसरी लहर पूरी पीक पर हो और मरीजों की तादाद ज्यादा हो तो सिर्फ एक एक्जाम की वजह से ये लोग मरीजों की देखभाल और इस जंग को लड़ने से महफूज न हो जाएं. यानी डाक्टरों की कमी से देश न जूझे.
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