नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत की आगामी यात्रा से पहले दोनों मुल्कों के बीच नए कारोबार समझौते पर दस्तखत की उम्मीद अब भी संशय का झूला झूल रही हैं. इसकी राह में एक बड़ा कांटा भारतीय डेयरी कृषि उत्पादों के लिए दरवाजा खुलवाने की अमेरिकी ज़िद है. ज़ाहिर है, अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क कम करना भारत के लिए नई मुसीबत खड़ी कर सकता है. ऐसे में पशु आहार सम्बन्धी प्रमाणन की अनिवार्यता भारत की ढाल बन रही है.


व्यापार समझौते को लेकर जारी कवायद में अमेरिकी दबाव के बीच भारत ने साफ कर दिया है कि डेयरी उत्पादन में किसी भी तरह के मांस पदार्थ इस्तेमाल न किए जाने का प्रमाणन अनिवार्य ही बना रहेगा. सूत्रों के मुताबिक भारत के लिए यह एक ऐसा बिंदु है जिसपर कोई समझौता सम्भव नहीं है. क्योंकि यह भारत में धार्मिक भावनाओं से भी जुड़ा हुआ है.


अमेरिका में कैटल फीड तैयार करने में भी कुछ एनिमल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल होता है
गौरतलब है कि भारत में डेयरी उत्पाद आयात के लिए सम्बंधित अमेरिकी एजेंसी से यह सर्टीफिकेट ज़रूरी है कि जिस जानवर के दूध से उसे बनाया गया है उसके पशुआहार में रक्त मांस पदार्थ का इस्तेमाल नहीं किया गया है. अब पेंच यह है कि अमेरिका के लिए इस तरह का सर्टिफिकेट देना बहुत मुश्किल है. क्योंकि उसके यहां पशु चारे यानी कैटल फीड को तैयार करने में भी कुछ एनिमल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल होता है.


वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2015-16 से अमेरिकी बाजार में भारतीय डेयरी उत्पादों का निर्यात 20 लाख डॉलर से बढ़कर 2018-19 में 140 लाख डॉलर हो गया. जबकि इसके मुकाबले आयात का आंकड़ा 3 लाख डॉलर मूल्य तक भी नहीं पहुंच पाया है.


भारत दुनिया का बड़ा दुग्ध उत्पादक मुल्क
भारत दुनिया का बड़ा दुग्ध उत्पादक मुल्क भी है और निर्यातक भी. साथ ही भारतीय के लिए डेयरी एक खास अहमियत भी रखता है. क्योंकि यह क्षेत्र न केवल ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर देता है बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है. भारतीय कृषि कौशल परिषद की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे में जबकि फसल उत्पादन एक वर्ष में औसतन 90-120 दिनों के लिए ग्रामीण कर्मचारियों के लिए रोजगार पैदा करता है. डेयरी क्षेत्र पूरे वर्ष में वैकल्पिक रोजगार के अवसर प्रदान करने में प्रमुख भूमिका निभाता है.


ध्यान रहे कि भारत ने डेयरी क्षेत्र को बचाने की चिंताओं के मद्देनजर ही नवम्बर 2019 में दुनिया के सबसे बड़े मुक्त व्यापार समझौते पर दस्तखत से इनकार कर दिया था. भारत के इसमें शामिल होने को लेकर ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे डेयरी उत्पाद निर्यातक मुल्कों की कारोबार उम्मीदों को झटका लगा था.


हालांकि भारत के डेयरी क्षेत्र की बढ़ती चुनौतियों के बीच ही भारत ने साल 2020-21 के लिए पेश बजट में पशुपालन मंत्रालय और संवर्धन योजनाओं के बजट आवंटन में खास इजाफा किया है. पिछले साल के मुकाबले 18 फीसद बढ़ोतरी करते हुए मंत्रालय को 3289 करोड़ रुपये आवंटित किए गए.



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