कर्नाटक सरकार गौहत्या विरोधी कानून के एक कड़े संस्करण की योजना बना रही है जिसे पहले पेश करने में असफलता हासिल की थी. इसी सिलसिले में कर्नाटक के पशुपालन मंत्री प्रभु चौहान उत्तर प्रदेश और गुजरात के तीन दिवसीय दौरे पर हैं. वे यहां आकर इस कानून को लेकर विचार-विमर्श करेंगे. गुरुवार को उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी की थी और उत्तर प्रदेश की तरह ही कर्नाटक में भी गौहत्या निषेध कानू लागू करने को लेकर चर्चा की थी.
शीतकालीन सत्र में गौहत्या विरोधी बिल पेश किया जाएगा
बता दें कि चौहान ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि, 7 दिसंबर से शुरू होने वाले राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में गौहत्या विरोधी बिल पेश किया जाएगा. चौहान ने कहा था कि कर्नाटक में गायों की सुरक्षा करना बीजेपी की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है. मंत्री ने यह भी साफ कर दिया था कि गोमांस की खपत पर पूर्ण प्रतिबंध होगा.
कई राज्यों में बिल किया जा चुका है पारित
बता दें कि कई राज्यों में पहले ही गौहत्या विरोधी बिल पारित किया जा चुका है. यूपी में इस कानून का उल्लंघन करने पर तीन से दस साल तक की सजा और तीन लाख से पांच लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है.
कांग्रेस ने किया विरोध
गौरतलब है कि कांग्रेस ने इस कदम का विरोध किया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि इस बिल के आने से कई लोग बोजगार हो जाएंगे. उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर ये सरकार बिल पास करती है तो कांग्रेस इसका विरोध करेगी. उन्होंने कहा, "इस बिल के पास होने से कई लोग बेरोजगार हो जाएंगे. हम इसे पास नहीं होने देंगे."
बता दें कि वर्तमान में लागू गोहत्या और मवेशी संरक्षण अधिनियम 1964 के मुताबिक 12 साल से अधिक उम्र के गैर-दुधारू और रोगग्रस्त मवेशियों के वध की अनुमति दी गई है. राज्य में गोहत्या पर प्रतिबंध और गोहत्या के संरक्षण के लिए कर्नाटक गोहत्या विधेयक 2010 में राज्य में गोमांस की खपत, बिक्री और परिवहन पर प्रतिबंध लगाया गया था. वहीं अपराधियों के लिए सात साल की जेल की न्यूनतम सजा भी निर्धारित की गई थी.
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