पटनाः सीपीआई (एमएल)- इंसाफ मंच के द्वारा 25 फरवरी को पटना में विधानसभा मार्च का आयोजित किया जा रहा है. जिसकी तैयारी अंतिम चरण में पहुंच गई है. सीपीआई (एमएल) विधानसभा से एनपीआर को रोकने और उसके खिलाफ विधानसभा से प्रस्ताव लाने के लिए इस मार्च की तैयारी कर रही है. मार्च में हिस्सा लेने के लिए माले महासचिव कॉमरेड दीपांकर भट्टाचार्य और स्वदेश भट्टाचार्य पटना पहुंच गए हैं. इसके साथ ही आज शाम से ही प्रदर्शनकारियों का जत्था पटना पहुंच रहा है.
सीपीआई (एमएल) राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि कल के प्रदर्शन में पूरे बिहार से हजारों की संख्या में गरीब लोग पटना पहुंच रहे हैं. कुणाल का कहना है कि वह विधान सभा के अंदर भी इस सवाल को प्रमुखता से उठाएंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान एनपीआर पर धोखा देने वाला है. मुख्यमंत्री अपने बयान में 2010 के आधार पर एनपीआर लागू करने की बात कर रहे हैं. लेकिन इसमें एनपीआर करने वाले अधिकारी को किसी को भी डाउटफुल कहने का अधिकार होगा. इसलिए हम एनपीआर और सीएए के खिलाफ बिहार विधानसभा से प्रस्ताव पारित करने की मांग करते हैं.
इस बीच पार्टी के विधायक दल के नेता महबूब आलम ने आज नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह से मुलाकात कर 25 फरवरी के विधानसभा मार्च का आमंत्रण दिया. साथ ही, 25 फरवरी को विधानसभा में NPR-CAA-NRC के खिलाफ विधानसभा से प्रस्ताव पारित करने की मांग पर संयुक्त कार्य स्थगन करने पर बातचीत की. उनका कहना है कि यह विधानसभा मार्च सीएए-एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ जारी आंदोलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगा.
इस प्रमुख मांग के अलावा जल-जीवन - हरियाली योजना के नाम पर 50 लाख से ज्यादा दलित गरीबों को उजाड़ने की नोटिस के खिलाफ भी यह मार्च आयोजित किया जा रहा है. महबूब आलम के अनुसार इस योजना के नाम पर बिहार में गरीबों के ऊपर नए सिरे से हमले किए जा रहे हैं. महबूब आलम का कहना है कि नदी, चौर, पोखर आधी जमीनों पर दबंगों का कब्जा है. सरकार उनके खिलाफ कुछ नहीं कर रही, लेकिन गरीबों को निशाना जरूर बना रही है. एक तो पहले से गरीबों की बड़ी आबादी के पास आवास की समस्या मौजूद है. उसे हल करने के बजाय सरकार उल्टे उन्हें उजाड़ रही है. इस पर तत्काल रोक लगानी होगी.
प्रदर्शन की तीसरी प्रमुख मांग में प्रोन्नति में आरक्षण की गारंटी को जोड़ा गया है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि प्रोन्नति में आरक्षण कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है बल्कि वह राज्य सरकारों के विवेकाधीन है. महबूब आलम कहते हैं कि बीजेपी और संघ परिवार दलित गरीबों के आरक्षण खत्म करने की एक सुनियोजित साजिश कर रही है. इसी के चलते दलितों के आरक्षण पर हमला किया जा रहा है.
इसके साथ ही बिहार में नीतीश की सरकार ने 30,000 से ज्यादा सफाई कर्मियों को नौकरी से हटा देने का फरमान जारी कर दिया है. महबूब आलम का कहना है कि यह सभी सफाई कर्मचारी दलित समुदाय से आते हैं. इस प्रकार ऊपर से लेकर नीचे तक दलित-गरीबों पर ही हमले आयोजित किए जा रहे हैं. शिक्षा के क्षेत्र में भी दलितों के अधिकारों में और आरक्षण में लगातार कटौती की जा रही है. महबूब आलम का कहना है कि हमने प्रोन्नति में आरक्षण के सवाल पर सरकार को तत्काल अध्यादेश लाने की मांग की है.