Lok Sabha Election 2019: अगले कुछ दिनों के भीतर लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा हो जाएगी. लेकिन विपक्षी पार्टियों में सीट बंटवारे को लेकर अब तक बात नहीं बन पाई है. पश्चिम बंगाल में विपक्षी पार्टियों सीटों को लेकर सहमति बनाने में जुटी है. सीपीएम ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और वाम मोर्चे के कब्जे वाली छह सीटों पर आगामी लोकसभा चुनाव में ‘एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव न लड़ने’ की बात सोमवार को कही.


हालांकि राज्य में कांग्रेस नेतृत्व ने कहा है कि वह इन चुनावों में अकेले ही ताल ठोकने को तैयार है, अगर वाम मोर्चा रायगंज और मुर्शिदाबाद संसदीय सीट उनके लिए नहीं छोड़ता है. गौरतलब है कि ये दोनों सीटें कांग्रेस का गढ़ मानी जाती हैं.


हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव में चतुष्कोणीय मुकाबले में सीपीएम ने रायगंज और मुर्शिदाबाद सीटें जीत ली थीं. माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में केंद्रीय समिति ने निर्णय लिया था कि बीजेपी विरोधी, तृणमूल कांग्रेस विरोधी वोट बंटने न देने के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी उचित तरीके अपनाएगी.’’


सीपीएम के इस प्रस्ताव से यह संकेत मिलता है कि वह बीजेपी विरोधी वोटों को मजबूत करने के लिए राज्य में दो राजनीतिक खेमों में एक समझ कायम करना चाहती है.


उन्होंने कहा, ‘‘इसके अनुसार सीपीएम ने लोकसभा की मौजूदा छह सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव न लड़ने का प्रस्ताव दिया है. इन सीटों पर कांग्रेस और वाम मोर्चे का कब्जा है.’’ उन्होंने कहा कि बाकी सीटों के लिए बंगाल में वाम मोर्चा आठ मार्च को फैसला लेगा.


'...तो गठबंधन नहीं'


पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की राज्य इकाई के नेतृत्व ने सोमवार को कहा कि अगर सीपीएम रायगंज और मुर्शिदाबाद पर अपना दावा नहीं छोड़ती है तो वह अगले लोकसभा चुनावों में अकेले ही मैदान में उतरेगी.


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राहुल गांधी के पाले में गेंद


सीपीएम के प्रस्तावों के बीच कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को नई दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की. कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल में सीपीएम के साथ प्रस्तावित सीट बंटवारे को लेकर नफा नुकसान जानना चाहा. चौधरी ने कांग्रेस अध्यक्ष को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के साथ प्रस्तावित सीट बंटवारे के सभी पहलुओं के बारे में जानकारी दी.


आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं. 2014 के चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने शानदार सफलता हासिल की थी और 34 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. वहीं सीपीएम दो, बीजेपी दो और कांग्रेस चार सीट जीती थी.


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अगले लोकसभा चुनाव में सूबे में जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल सकता है. बीजेपी पूरे जोर शोर से प्रचार में लगी है. वहीं कांग्रेस-सीपीएम गठबंधन होता है तो चुनाव और भी दिलचस्प हो जाएगा. पश्चिम बंगाल ममता बनर्जी का गढ़ माना जाता है. टीएमसी राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के साथ दिखती है वहीं राज्य में दोनों का रुख अलग-अलग रहा है. वहीं वाम दल टीएमसी की धुर विरोधी रही है.