Uniform Civil Code: सीताराम येचुरी ने यूसीसी को बताया सांप्रदायिक हथियार, बोले- मुस्लिमों के खिलाफ...
Uniform Civil Code: सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने यूसीसी का पुरजोर विरोध करते हुए आरोप लगाया कि ये बीजेपी की लोकसभा चुनाव से पहले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज करने की एक कवायद है.
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CPIM On Uniform Civil Code: देशभर में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर जारी बहस के बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने कोझिकोड में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया. इस दौरान सीपीआई (एम) ने यूसीसी को सांप्रदायिक हथियार करार दिया. इस सेमिनार की शुरूआत पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury) ने शनिवार (15 जुलाई) को की थी. जिसमें बड़ी संख्या में पार्टी नेताओं, मंत्रियों, धार्मिक नेताओं ने हिस्सा लिया.
सेमिनार को एक महत्वपूर्ण पहल बताते हुए येचुरी ने कहा कि सीपीआई (एम) ये नहीं मानती कि एकरूपता ही समानता है. पार्टी न केवल पुरुषों और महिलाओं के बीच, बल्कि जाति, पंथ और लिंग के आधार पर भी समान अधिकारों की वकालत करती है. ये आवश्यक है कि किसी भी समुदाय या वर्ग में व्यक्तिगत या प्रथागत कानूनों में कोई भी सुधार विशिष्ट समुदायों के परामर्श से और सभी की लोकतांत्रिक भागीदारी के साथ किया जाना चाहिए.
सीताराम येचुरी का बीजेपी पर निशाना
उन्होंने आगे कहा कि यूसीसी एक नारा है जो सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज करने के लिए है, न कि वास्तव में कोई एकरूपता हासिल करने के लिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि एक घर में दो कानून नहीं हो सकते. ये दो कानून क्या हैं? ऐसे कई अलग-अलग कानून हैं जो हमारे संविधान द्वारा मान्य हैं. जब वे कहते हैं कि दो कानून नहीं हो सकते, तो ये बहुत स्पष्ट है कि ये 2024 के आम चुनाव को देखते हुए मुस्लिम सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज करने की एक कवायद है.
यूसीसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की कही बात
येचुरी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, लव जिहाद के खिलाफ कानून, गोरक्षा नियम और नागरिकता संशोधन अधिनियम के उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि इन सब फैसलों में देश की मुस्लिम आबादी को टारगेट किया गया. इसलिए ये संदेह कि यूसीसी का इस्तेमाल सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए किया जाएगा, बीजेपी के राज में पिछले दशक में हुई घटनाओं के संदर्भ में और मजबूत हो गया.
उन्होंने यूसीसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का भी आह्वान किया. सेमिनार में लगभग सभी वक्ताओं ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर देश की विविधता को नष्ट करने, अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों पर हमला करने और हिंदुत्व विचारधारा को थोपने का आरोप लगाया.
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