भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने अनुच्छेद 370 निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की मांग की. वहीं, उन्होंने 1990 के पंडित प्रवास की सच्चाई का खुलासा करने के लिए एक सत्य और सुलह आयोग के गठन की भी मांग की.


येचुरी सीपीआई (एम) की राज्य स्तरीय बैठक के लिए कश्मीर में थे, ने कहा कि बीजेपी देश भर में स्थिति को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश कर रही है, ये केवल कश्मीरी पंडित नहीं थे, जो घाटी में पीड़ित थे, बल्कि मुस्लिम, सिख और अन्य भी आतंकी आघात के शिकार हुए थे.


'फिल्म जमीन पर स्थिति को खराब करने के उद्देश्य से रिलीज की गई है'


येचुरी ने पार्टी नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी के गुप्कर आवास पर वाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 'द कश्मीर फाइल्स' नामक एक फिल्म जमीन पर स्थिति को खराब करने के उद्देश्य से रिलीज की गई है. उन्होंने कहा, "मुसलमानों, सिखों और कश्मीर पंडितों सहित किसी भी धर्म या संप्रदाय के लोगों ने कश्मीर में समान रूप से पीड़ित हुए हैं. फिल्म में तत्कालीन राज्यपाल की भूमिका को क्यों नहीं दिखाया गया, उनकी भूमिका को भी उजागर किया जाना चाहिए था." उन्होंने आगे कहा कि पूरे कश्मीर को नुकसान हुआ है, यहां तक कि यहां नेताओं पर भी हमले हुए हैं, हर कोई समान रूप से आतंकवाद से लड़ रहा है.


अनुच्छेद 370 निरस्त करने को लेकर दायर याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग


येचुरी ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर जल्द सुनवाई की भी मांग की और कहा कि जब तक याचिका पर सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक सरकार को कम से कम यहां निर्णय लेने और नए कानून पेश करने से रोक दिया जाना चाहिए. येचुरी ने कहा कि देश भर में हालात बद से बदतर हो गए हैं, लोग बुरी तरह जूझ रहे हैं, बेरोजगारी अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर है और हालात ये हैं कि युवाओं ने अब भी नौकरी की तलाश बंद कर दी है. उन्होंने कहा कि भारत की स्थिति तेजी से खराब हो रही है, क्योंकि संवैधानिक स्तंभों को विचलित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह देश को बचाने और लोगों के दिन-प्रतिदिन के मुद्दों को संबोधित करने का समय है.


'कश्मीर कोई जमीन का टुकड़ा नहीं है, इसका 5000 साल का इतिहास है'


इस बीच, उनके साथ मौजूद तारिगामी ने मीडियाकर्मियों से कहा कि कश्मीर कोई जमीन का टुकड़ा नहीं है, बल्कि इसका 5000 साल का इतिहास है. उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर के संबंध में कोई भी निर्णय लेने के लिए मौजूदा शासन कानूनों को अलग रख रहा है. लोकतांत्रिक संस्थाओं और देश को भी बचाने की जरुरत है."


CPI(M) नेता ने कहा कि 'द कश्मीर फाइल्स' एक फिल्म है, लेकिन उनकी पार्टी एक आयोग के गठन की मांग कर रही है, ताकि जमीनी हकीकत की जांच की जा सके कि घाटी में किसे नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि माकपा ने फैसला किया है कि अन्य प्रमुख पार्टियों के साथ मिलकर वह हर जगह समुदायों के बीच एकता को मजबूत करेगी, क्योंकि विभिन्न समुदायों के बीच दरार पैदा करने के प्रयास जारी हैं.


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