मध्य प्रदेश के 300 से ज़्यादा सरकारी अस्पतालों में अब पालना लगाया जाएगा. महिला और बाल विकास विभाग की इस योजना का मकसद लोंगों को अनचाहे बच्चों से छुटकारा पाने के लिए इन शिशुओं को झाड़ियों में फेंकने से रोकना है.


सरकार का मानना है की जो लोग अनचाहे बच्चों को इधर उधर असुरक्षित जगहों पर फेंक जाते हैं. इन छोटे बच्चों की जान बचाना कठिन होता है. इसलिए जो पालने अब तक अनाथालयों के बाहर ही लगाए जाते थे वो अब सरकारी अस्पतालों के बाहर भी लगेंगे. इससे लोंगों में जागरूकता भी आएगी. भोपाल में पिछले साल चार बच्चे झाड़ियों में मिले थे, जिनमें से दो की मौत हो गयी थी और इसी प्रकार पूरे प्रदेश में 40 बच्चे मिले जिनमें 10 को नहीं बचाया जा सका.


महिला बाल विकास विभाग के संयुक्त संचालक विशाल नाडकरणी ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि अनचाहे नवजात बच्चों की मौत की संख्या को देखते हुये ये पालना योजना शुरू की जा रही है, जिससे अब अस्पतालों में भी बाहर पालना रखा जाएगा. जिससे लोग बच्चों को सुरक्षित हाथों में सौंप जायें.


भोपाल के मात्रछाया अनाथालय में भी ऐसा ही पालना अनेक सालों से रखा है और लोग इसी में अनचाहे बच्चों को छोड़ जाते हैं. संस्था से जुड़े विमल त्यागी बताते हैं कि पालना में बच्चों को छोड़ने से परवरिश अच्छी होती है, इसलिये उल्टे योजना अच्छी है और इससे बहुत सारे बच्चों की जान भी बचेगी. भोपाल के इस अनाथालय से अब तक 248 बच्चों की परवरिश कर उनको देश विदेश में गोद दिया जा चुका है.


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