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63 साल में 400 हादसे, 200 पायलटों और 50 नागरिकों की मौत, मिग-21 क्यों बना भारत की मजबूरी?

8 मई की सुबह इंडियन एयरफोर्स का फाइटर प्लेन मिग-21 विमान क्रैश हो गया. मिग 21 के हादसे की खबर कोई पहली बार नहीं आई है. 1962 के बाद से कुल 500 से ज्यादा मिग-21 विमान हादसे का शिकार हो चुके हैं.

राजस्थान के हनुमानगढ़ में सोमवार (8 मई 2023) की सुबह इंडियन एयरफोर्स का फाइटर प्लेन मिग-21 विमान क्रैश होकर रिहायशी इलाके में जा गिरा. इस हादसे में 3 महिलाओं की मौत हो गई. दोनों पायलट खुद को इजेक्ट करने में कामयाब रहे लेकिन उन्हें भी चोट आई है. खबरों के मुताबिक विमान ने सूरतगढ़ से उड़ान भरी थी और यह बहलोलनगर में क्रैश हो गया. 

हादसे की वजह पता लगाने के लिए जांच समिति का गठन किया गया है. बीकानेर के पुलिस महानिरीक्षक ओम प्रकाश ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि पायलट ने मानव हताहतों को रोकने की पूरी कोशिश की. उन्होंने बताया कि दुर्घटनास्थल पर 2,000 से ज्यादा लोग इकट्ठा हो गए . प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने की पूरी कोशिश की. 

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब मिग-21 विमान दुर्घटना का शिकार हुआ है. इसकी वजह से कई पायलटों की मौत भी हो चुकी है. सवाल यह है कि आखिर क्यों बार-बार मिग-21 के साथ ऐसा हो रहा है? और बड़े पैमाने पर हादसों के बावजूद मिग 21 की उड़ान पर रोक क्यों नहीं लगाई गई है. 

कब-कब क्रैश हुआ मिग-21?

भारतीय वायुसेना के बेड़े में मिग-21 विमान 1960 के दशक की शुरुआत में शामिल किये गये थे. शुरुआत से ही विमान का सुरक्षा रिकॉर्ड खराब रहा. 60 के दशक से लेकर अब तक तकरीबन 500 से ज्यादा मिग-21 विमान हादसे का शिकार हो चुके हैं. दुर्घटनाओं में करीब 200 पायलटों और 50 नागरिकों की मौत हुई. 

साल 2021 में पूर्व रक्षामंत्री ए.के. एंटनी ने मिग-21 से जुड़े विमान हादसों को लेकर एक बयान जारी किया था. ए.के. एंटनी ने अपने बयान में कहा था कि वायु सेना में शामिल होने के बाद से लेकर साल 2012 तक 482 मिग-21 विमान हादसे के शिकार हो चुके थे. इन हादसों में 171 पायलट, 39 आम नागरिक और आठ अन्य की मौत हुई थी. 

इसके बाद साल 2013 में दो, 2014 में तीन, 2015 में दो, 2016 में तीन, 2018 में दो, 2019 में तीन, 2021 में पांच और 2022 में एक मिग विमान हादसे का शिकार हुए. याद दिला दें कि साल 2022 गोवा कोस्ट पर नेवी का एक मिग-29K विमान क्रैश हुआ था. इस दौरान पायलट ने खुद को सुरक्षित इजेक्ट कर लिया था. इसके बाद अब 2023 में 8 मई को राजस्थान के हनुमानगढ़ में यह हादसा हुआ है. 

2021-22 में कहां और कब क्रैश हुए मिग-21?

● 28 जुलाई 2022 में राजस्थान के बाड़मेर के पास एक ट्रेनिंग उड़ान के दौरान मिग-21 विमान क्रैश हुआ. जिसमें दो पायलटों- विंग कमांडर एम राणा और फ्लाइट लेफ्टिनेंट अद्विटिया बल की मौत हो गई.

  • 24 दिसंबर 2021:  राजस्थान के जैसलमेर में मिग-21 क्रैश हुआ था. इस हादसे में विंग कमांडर हर्षित सक्सेना शहीद हो गए. 
  • 12 अक्टूबर 2022: नौसेना का मिग 29 का लड़ाकू विमान गोवा तट के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया. हादसे में पायलट बाल-बाल बचा.
  • 25 अगस्त 2021: राजस्थान के बाड़मेर में मिग-21 'बाइसन' हादसे का शिकार हुआ. पायलट सुरक्षित बच गए.
  • 12 मई, 2021: राजस्थान के सूरतगढ़ एयरबेस से उड़ान भरने के बाद पंजाब में मोगा के पास मिग-21 बाइसन के दुर्घटनाग्रस्त होने से 28 वर्षीय स्क्वाड्रन लीडर अभिषेक चौधरी की मौत हो गई.
  • 17 मार्च 2021: ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरने के बाद मिग-21 के दुर्घटनाग्रस्त होने से ग्रुप कैप्टन आशीष गुप्ता की मौत हो गई.
  • 5 जनवरी, 2021: राजस्थान के सूरतगढ़ में एक मिग 21 बाइसन दुर्घटनाग्रस्त हो गया. पायलट की जान बाल-बाल बची.

एक नजर मिग -21 पर

मिग -21 बाइसन विमान का सुपरसोनिक जेट विमान है. ये विमान दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला लड़ाकू जेट भी है. 60 साल से ज्यादा पुराने इस विमान के बेड़े के मिग -21 के चार सक्रिय स्क्वाड्रन भारतीय वायु सेना की सेवा में है. मिग -21 बाइसन के जनरेशन 3 लड़ाकू जेट को अपडेट किया गया है. मिग-21 विमान को 1960 के दशक में वायुसेना में शामिल किये जाने के बाद से इसने अपनी संपूर्ण लड़ाकू क्षमता बढ़ाने के लिए 870 से ज्यादा मिग-21 विमान खरीदे हैं. 

वर्तमान में जेट का इस्तेमाल केवल इंटरसेप्टर के रूप में किया जा रहा है, जिसमें लड़ाकू जेट के रूप में इसकी सीमित भूमिका है और ज्यादातर प्रशिक्षण अभ्यास के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस विमान को डिजाइन करने का श्रेय सोवियत वायु सेना-विमान को दिया जाता है. सोवियत वायु सेना विमान 1985 तक ही सेवा में था. उसके बाद अमेरिका और वियतनाम ने इसकी सेवा लेनी शुरू की. 1985 के बाद बांग्लादेश और अफगानिस्तान ने इसे सेवा से हटा दिया. 

भारत में मिग 21 को 1960 के दशक में वायु सेना में शामिल किया गया था और 1990 के दशक के मध्य में रिटायर होने के बावजूद इसे बार-बार अपग्रेड किया जाता रहा है. अक्टूबर 2014 में वायुसेना प्रमुख ने कहा था कि पुराने विमानों को सेवा से हटाने में देरी से भारत की सुरक्षा को खतरा है क्योंकि बेड़े के कुछ हिस्से पुराने हो चुके हैं. 

मिग 21 अभी भी सेवा में क्यों हैं?

नए लड़ाकू विमानों को शामिल करने में देरी के कारण भारतीय वायु सेना मिग को लंबे समय तक सेवा में रखना पड़ा. जिससे भारतीय वायुसेना को भारत के आसमान की रक्षा के लिए एक निश्चित स्क्वाड्रन ताकत बनाए रखने के लिए एक संकट का सामना करना पड़ रहा है.

स्वदेशी तेजस कार्यक्रम में देरी, राफेल सौदे से जुड़े राजनीतिक विवाद और धीमी गति से खरीद प्रक्रिया का मतलब है कि मिग 21 अपनी सेवानिवृत्ति की बाद भी सेवा दे रहा है. जो भारत के लिए खतरा पैदा कर रहा है. 

मिग-21 के क्रैश होने की वजह?

मिग-21 रुस द्वारा तैयार एक पुराना फाइटर विमान है. इसका इंजन काफी पुराना है और इसके साथ ही इसमें इस्तेमाल हो रही तकनीक भी काफी पुरानी है. यह एक सिंगल इंजन वाला विमान है और इसमें आग भी जल्दी लग जाती है.

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने एक बयान में कहा कि भारत के मुख्यधारा के नौसेना लड़ाकू विमान मिग-21 के को इंजन, एयरफ्रेम और फ्लाई-बाय-वायर प्रणाली में खामियों के कारण परिचालन संबंधी कमियों का सामना करना पड़ता है.  बता दें कि आईएएफ में दुर्घटनाओं की संख्या में सभी फाइटर विमानों के मुकाबले मिग 21 के क्रैश होने की संख्या सबसे ज्यादा बताई जा चुकी हा.

कई बार जांच में सामने आया है कि इसकी खिड़कियों की डिजाइन में भी कुछ गड़बड़ी है, जिसकी वजह से कई क्रैश हो चुके हैं. मिग-21 विमानों के लगातार हादसों की वजह से इसे 'फ्लाइंग कॉफिन' यानी उड़ता ताबूत भी कहा जाता है. जानकारों ने मीडिया को बताया कि 2025 तक सभी चार मिग-21 स्क्वाड्रन को रिटायर करने की योजना है. सोवियत संघ मूल के विमानों के बेड़े को चरणबद्ध तरीके से हटाने की योजना वायु सेना के आधुनिकीकरण अभियान का हिस्सा है.

मिग-21 विमान को 'फ्लाइंग कॉफिन' का नाम कैसे मिला?

भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के बेड़े में मिग -21 विमान रीढ़ की हड्डी माना जाता है. वहीं रक्षा मंत्रालय के एक आंकड़े के मुताबिक इन विमानों के खराब सुरक्षा रिकॉर्ड के बीच दुर्घटनाओं की कई जांच की गई थी. इन दुर्घटनाओं में 170 से ज्यादा पायलट मारे गए थे. 2010 से अब तक 20 से ज्यादा विमान और 2003 से 2013 के बीच 38 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं. दुर्घटनाओं की बड़ी तादाद से विमान को 'फ्लाइंग कॉफिन' के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि बीते पांच सालों में सेना के तीनों अंगों (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के विमान और हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं में 42 रक्षा कर्मियों की जान चली गई. 

मिग 21 की खासियत

60 के दशक में बना मिग-21 अपने समय में सबसे तेज गति से उड़ान भरने वाला पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था. यह इकलौता ऐसा विमान है जिसका इस्तेमाल दुनियाभर के करीब 60 देशों ने किया है. मिग-21 इस समय भारत के अलावा कई देशों की वायुसेना में सेवाएं दे रहा है. मिग- 21 एविएशन के इतिहास में अब तक सबसे ज्यादा बनाया जाने वाला सुपरसोनिक फाइटर जेट माना जाता है. इसके अब तक 11496 यूनिट्स का निर्माण किया जा चुका हैं.

मिग-21 एक हल्का सिंगल पायलट लड़ाकू विमान है. जबकि मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान मिग-21 का एक अपग्रेडेड वर्जन है. जिससे अगले 1-2 साल तक इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. इस वर्जन का इस्तेमाल केवल भारतीय वायुसेना ही करती है. बाकी दूसरे देश इसके अलग-अलग वेरिएंट का इस्तेमाल करते हैं.

कई अहम मौकों पर मिग 21 ने भारत का दिया है साथ

साल 1965, 1971 और 1999 के युद्ध में पाकिस्तान से लड़ाई के दौरान मिग 21 ने गेम चेंजर की भूमिका निभाई. 1971 में भारतीय मिग-21 ने चेंगड़ु एफ विमान को मार गिराया था. चेंगड़ु एफ विमान मिग का ही एक और वेरिएंट था . इसे चीन ने बनाया था. वहीं 1971 की जंग में मिग-21 लड़ाकू विमान ने पाकिस्तान को जमीन पर भी आगे बढ़ने का मौका नहीं दिया.

मिग-21 विमानों ने पाकिस्तान को बड़ा नुकासान पहुंचाया है. बता दें की पूरी जंग में भारत का केवल एक मिग-21 बर्बाद हुआ जबकि पाकिस्तान के कुल 13 लड़ाकू विमान बर्बाद हो गए. 

अभिनंदन ने मार गिराया था F-16

याद दिला दें कि बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान के एफ-16 को मार गिराया था. उस समय विंग कमांडर अभिनंदन ने मिग-21 से ही वार किया था. वहीं पाकिस्तान ने इस बात को कभी भी खुलकर स्वीकार नहीं किया. इसकी एक वजह ये भी मानी जाती है कि लगभग 60 साल पुराने लड़ाकू विमान से पाकिस्तानी एयरफोर्स के सबसे उन्नत लड़ाकू विमान एफ-16 कैसे मात खा गया. एफ-16 अमेरिका में निर्मित विमान है.

अब बेड़े से हटाए जा रहे हैं मिग-21?

मिग-21 से जुड़ी घटनाओं को देखते हुए इंडियन एयरफोर्स ने इसे अपने बेड़े से हटाने का फैसला किया है. एयरफोर्स ने पिछले साल 30 सितंबर तक मिग 21 बाइसन की एक स्क्वाड्रन को हटा दिया था. वहीं मिग 21 की बाकी तीन स्क्वाड्रन को चरणबद्ध तरीके से 2025 तक बाहर करने की योजना है.  

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