नई दिल्ली: दिल्ली में घर में पालतू कुत्ते बिल्ली रखने वाले और पशु प्रेमी अब अपने पेट्स और आवारा कुत्ते, बिल्लियों, बंदरों और सुअर का अंतिम संस्कार भी करा सकेंगे. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम द्वारा द्वारका में स्मॉल एनिमल क्रिमेटोरियम का निर्माण कराया जायेगा. SDMC का दावा है कि ये भारत का पहला 'स्मॉल एनिमल क्रिमेटोरियम' होगा.
द्वारका में 700 वर्गमीटर ज़मीन पर इस श्मशान घाट का निर्माण होगा जहां कुत्ते, बिल्ली, बंदर और सूअर का अंतिम संस्कार किया जा सकेगा. इसमें दो तरह के फर्नेस होंगे, एक फर्नेस 150 किलो का होगा, जिसमें सिर्फ पालतू कुत्तों का शवदाह किया जाएगा. 30 किलो तक के वजन वाले कुत्ते के लिए 2000 रुपये का चार्ज रखा गया है और 30 किलो से ज्यादा वजन वाले कुत्ते के लिए 3000 रुपये का चार्ज रखा गया है. वहीं दूसरी फर्नेस में आवारा कुत्ते, बिल्ली, बंदर और सूअर का क्रीमेशन किया जाएगा. ये पूरी योजना पीपीपी मॉडल पर आधारित होगी. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम जल्द ही इसका टेंडर जारी करेगी.
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम इसका निर्माण कराएगा, लेकिन पूरी दिल्ली में लोग इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. आवारा पशुओं के मामले में साउथ एमसीडी से लाए गए आवारा कुत्ते, बिल्लियों के लिए यह फ्री रहेगा, लेकिन अगर किसी दूसरे नगर निगम से आवारा पशु को लाया जाता है तो उनसे 500 रुपये चार्ज किया जायेगा. ये एक इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम होगा.
सबसे खास बात ये है कि इस श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिये पुजारी भी होंगे और अस्थियों को रखने की व्यवस्था भी की जाएगी. ताकि जो लोग अस्थि विसर्जन करना चाहते हैं वो अस्थियां वापस ले जा सकें. अस्थियां रखवाने के लिए भी एक व्यवस्था बनाई जाएगी. ऐसे रैक बनाए जाएंगे जहां, अस्थियां रखी जाएंगी. जो भी कूपन नंबर अंतिम संस्कार के लिए दिया जाएगा वह कूपन लगाकर उस रैक पर अस्थियां रख दी जाएंगी.
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के अध्यक्ष राजदत्त गहलौत ने बताया कि हमने लोगों की भावना को देखते हुए इस श्मशान घाट को शुरू करने का सोचा है. कई लोग अपने पालतू पशुओं को बच्चों की तरह पालते हैं. ये हमारी संस्कृति में है कि आप इस तरह से बच्चों की तरह अगर पशु को पालते हैं तो उसका अंतिम संस्कार भी करते हैं. उस भावना को देखते हुए हमने यह निर्णय लिया कि अपने पालतू पशु से जो भी प्रेमभाव है, उसको साथ रखते हुए, अगर पंडित से मंत्र पढ़ाना है, अस्थियां रखवानी हैं या प्रवाह करवानी है तो यह सब व्यवस्था की है.
उन्होंने कहा कि यह सब एक भावना से जुड़ा हुआ है, जिसे ध्यान में रखते हुए हम बहुत अच्छी व्यवस्था करने जा रहे हैं. जिस तरह से एक मानव का संस्कार किया जाता है उसी तरह की व्यवस्था होगी और किसी की भावना को ठेस ना पहुंचे ये हमारी कोशिश होगी. हम चाहते हैं कि पूरी दिल्ली में इस तरह की और व्यवस्था की जाए.
टेंडर प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए राजदत्त गहलौत ने बताया कि हम जल्द ही टेंडर लेकर आ रहे हैं, जो बेहतर बिडर होगा उसको 8 महीने का टाइम दिया है प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए. लेकिन हमारी कोशिश रहेगी कि इसे 5 महीने में ही पूरा किया जा सके. हम एक सरकारी गाड़ी भी एमसीडी की तरफ से देंगे, जिसमें आवारा पशुओं को उठा कर लाया जा सके.
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