(Source: Dainik Bhaskar)
High Court On Corruption: 'इकॉनमी की नब्ज को खा रहा है भ्रष्टाचार', इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने घोटाले के एक पुराने मामले के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी, इसी दौरान 'भ्रष्टाचार' को लेकर अहम टिप्पणी भी की.
Noida Cricket Stadium Scam Case: भ्रष्टाचार के मुद्दे पर इलाहाबाई हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की सख्त प्रतिक्रिया आई है. कोर्ट ने 25 जनवरी को नोएडा क्रिकेट स्टेडियम घोटाला मामले के एक आरोपी देवेंद्र कुमार हंगल की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार देश की अर्थव्यवस्था को खा रहा है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने कथित तौर नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों संग साजिश रची थी और शहर में एक संयुक्त खेल परिसर में पवेलियन इमारत के साथ क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण के लिए जारी किए गए सार्वजनिक फंड से करोड़ों रुपये की निकासी की थी. आरोप है कि हंगल ने अपनी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के जरिये घोटाले के लिए नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के प्रमुख अभियंता (Engineer-in-Chief) यादव सिंह के साथ साजिश रची थी.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने यह कहा
फैसला देते हुए जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने कहा, ''अग्रिम या नियमित जमानत याचिका पर विचार करते समय अदालत को अपराध की प्रकृति पर विचार करना होगा और अगर अपराध गंभीर और बड़ा है, खासकर आर्थिक अपराध के मामले में तो कोर्ट को जमानत से इनकार करना चाहिए.'' जस्टिस सिंह ने यह भी कहा, ''भ्रष्टाचार एक ऐसा संकट है जो देश की अर्थव्यवस्था की नब्ज को खा रहा है.''
क्या है मामला?
हंगल के खिलाफ 13 जनवरी 2012 को उत्तर प्रदेश के नोएडा के सेक्टर 39 पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता (IPC) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. 16 जुलाई 2015 को हाई कोर्ट ने एक आदेश पारित किया था, जिसके माध्यम से मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी. सीबीआई ने मामले की जांच करने के बाद एक सप्लीमेंटरी चार्जशीट फाइल की फाइल की थी.
अदालत ने सीबीआई की जांच रिपोर्ट पर गौर करने और दूसरे पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हंगल को सार्वजनिक धन की हेराफेरी की साजिश में लिप्त पाया था. क्रिकेट स्टेडियम आनंद बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना रही थी. इस कंपनी का निदेशक मौजूदा याचिकाकर्ता यानी हंगल है जो इसमें प्रमुख भागीदार भी है. अदालत ने देखा कि आरोप और जांच रिपोर्ट बताती है कि स्टेडियम को बनाने के लिए जिम्मेदार मौजूदा याचिकाकर्ता और अन्य सह-आरोपियों ने सार्वजनिक धन की हेराफेरी के लिए गहरी साजिश रची थी.