दिल्ली: चांद बाग हिंसा मामले में 15 लोगों के खिलाफ चार्जशीट, आप के निष्कासित पार्षद ताहिर हुसैन मुख्य आरोपी
क्राइम ब्रांच की चार्जशीट के मुताबिक दिल्ली दंगों में ताहिर हुसैन की बहुत बड़ी भूमिका सामने आई है. चार्जशीट में उसे दिल्ली के चांद बाग इलाके में हुई हिंसा का आरोपी ठहराया गया है.
नई दिल्लीः दिल्ली दंगा मामलो को लेकर क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को दूसरी चार्जशीट दाखिल की है. यह चार्जशीट चांद बाग में हुए दंगो को लेकर है. यह चार्जशीट आम आदमी पार्टी के निष्कासित पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ दायर हुई. चार्जशीट में ताहिर हुसैन और उसके भाई समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया गया है. क्राइम ब्रांच के मुताबिक यह चार्जशीट 1030 पन्नों की है और क्राइम ब्रांच ने करीब 75 लोगों को इसमें विटनेस बनाया है.
क्राइम ब्रांच की चार्जशीट के मुताबिक दिल्ली दंगों में ताहिर हुसैन की बहुत बड़ी भूमिका सामने आई है. चार्जशीट में उसे दिल्ली के चांद बाग इलाके में हुई हिंसा का आरोपी ठहराया गया है. चार्जशीट से यह साफ हो जाता है कि दंगों के पीछे ताहिर हुसैन का बहुत बड़ा हाथ था. चांद बाग इलाके में हुई हिंसा के मामले में वो ही मास्टरमाइंड है.
चार्जशीट में फंडिंग के बारे में भी लिखा है. जांच में क्राइम ब्रांच को पता चला है कि चांद बाग इलाके में हुई हिंसा में ताहिर हुसैन ने फ़ंडिंग की थी. उसमें ताहिर ने 1 करोड़ 30 लाख की फंडिंग की थी और चांद बाग में दंगों की शुरुआत भी उसी ने करवाई थी.
चार्जशीट में यह बात भी साफ हुई है कि 24 और 25 फरवरी को जिस दिन चांद बाग में दंगे हुए ताहिर हुसैन अपने घर में ही मौजूद था, 24 को तो वो साफ छत पर नज़र भी आ रहा है. चार्जशीट के मुताबिक वो ही लोगों को दंगों के लिए उकसा रहा था.
चार्जशीट से साफ हो जाता है कि ताहिर हुसैन ने दंगों की प्लानिंग काफी पहले से ही कर ली थी क्योंकि उसके घर में जितने भी सीसीटीवी कैमरे लगे थे वो सभी बंद थे. जांच के दौरान जब क्राइम ब्रांच की टीम ने सीसीटीवी फुटेज खंगालनी चाही तो वो पुलिस को नहीं मिली.
क्राइम ब्रांच की टीम को ताहिर के घर से जो पेट्रोल बम मिले थे उसके सोर्स का अभी तक कुछ पता नहीं लग पाया है लेकिन जो पत्थर मिले हैं वो उसके घर में तैयार किए गए थे. ताहिर हुसैन के पास 100 कारतूस थे, क्राइम ब्रांच को 22 खाली खोके मिले और 64 भरे हुए बाकी बचे 14 कारतूस कहां गये और 22 कारतूस कहा इस्तेमाल हुए इसका जवाब ताहिर नहीं दे पाया.
इसके अलावा ताहिर के करीबी गुलफाम ने 31 जनवरी को 100 कारतूस खरीदे थे जिसमें से पुलिस को सिर्फ 7 जिंदा कारतूस ही मिले बाकी कहां गए ये भी नहीं पता. इसका मतलब साफ है दंगों में जो गोलियां चलीं वो ये ही गोलियां हैं जिनका हिसाब नहीं मिल पा रहा है.
8 जनवरी को ताहिर ने उमर खालिद और खालिद सैफी मुलाकात से मुलाकात की थी. मुलाकात का मकसद क्या था और यह मुलाकात क्यों की गई थी यह अभी साफ नहीं हो पाया है पुलिस उमर खालिद और खालिद सैफी के रोल का भी पता कर रही है.