नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में हार के झटके से कांग्रेस उबर नहीं पा रही. राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से पार्टी एक तरह से ठप पड़ी हुई है साथ ही राज्य इकाइयों में 'अराजकता' का माहौल बना हुआ है. कर्नाटक में विधायकों के इस्तीफे के कारण जहां सरकार पर खतरा मंडरा रहा है वहीं जिन राज्यों में चुनाव होने हैं वहां नेता आपस में लड़ रहे हैं. जाहिर है कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व को लेकर चल रहे असमंजस के कारण कांग्रेस का हालत बुरी होती जा रही है.


कर्नाटक और तेलंगाना में विधायकों के इस्तीफे :-
कर्नाटक में कांग्रेस के लगभग एक दर्जन विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. इस वजह से वहां की कांग्रेस-जेडीएस सरकार पर खतरा मंडरा रहा है. इससे पहले तेलंगाना में कांग्रेस के कुल 18 में 12 विधायक सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति में शामिल हो चुके हैं. इस वजह से राज्य में कांग्रेस से मुख्य विपक्षी दल का ओहदा छिन गया. ये इस्तीफे बताते हैं कि पार्टी में नाराज/असंतुष्ट तबकों और पार्टी हाईकमांड के बीच संवाद की साफ कमी है.


हरियाणा में आजाद बनाम तंवर :-
नेताओं की नाराजगी के साथ झगड़े और मनमुटाव भी उभर रहे हैं. ताजा मामला हरियाणा का है जहां प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर की बनाई एक चुनाव प्रबंध समिति को मान्यता नहीं दी. हालांकि इसकी वजह ये है कि कांग्रेस में चुनाव समिति केंद्रीय स्तर से गठित की जाती है. लेकिन इस तकनीकी पहलू से ज्यादा महत्व इस बात का है कि हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष और प्रभारी में कैसा तालमेल है? इसके अलावा राज्य में कांग्रेस नेताओं की खेमेबाजी जगजाहिर है.


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दिल्ली में शीला बनाम चाको :-
प्रभारी और अध्यक्ष के झगड़े की दूसरी कहानी दिल्ली कांग्रेस से है. कुछ दिनों पहले दिल्ली में जब प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित ने सभी ब्लॉक कमिटियों को भंग किया तो पर प्रभारी पी सी चाको इससे असहमत थे. दोनों गुट के नेताओं ने इसकी शिकायत संगठन महासचिव से की. आने वाले 6 महीनों में दिल्ली में चुनाव होने हैं.


महाराष्ट्र में देवड़ा बनाम निरुपम :-
एक और चुनावी राज्य महाराष्ट्र में कांग्रेस नेता खुल कर पार्टी के दूसरे नेता पर तंज कसा रहे हैं. दरअसल मिलिंद देवड़ा ने मुम्बई कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे का एलान किया तो संजय निरुपम ने देवड़ा पर तंज कसते हुए यहां तक बोल दिया कि ऐसे नेताओं से पार्टी को सावधान रहना चाहिए. हालांकि लोकसभा चुनाव से पहले देवड़ा ने भी निरूपम के खिलाफ बयानबाजी की थी. शायद निरुपम हिसाब चुकता कर रहे हैं.


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पंजाब में कैप्टन बनाम सिद्धू :-
पंजाब में कांग्रेस सरकार को कोई खतरा नहीं है लेकिन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू कर बीच की पुरानी लड़ाई फिर सतह पर आ गई है. लोकसभा चुनाव के बाद कैप्टन ने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया. सिद्धू अपने विभाग बदले जाने से इतने नाराज हैं कि उन्होंने अपने विभाग का चार्ज नहीं लिया जबकि मंत्रालय बदले लगभग महीना होने वाला है.


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जाहिर है ये घटनाएं और स्थिति बताती है कि कांग्रेस अराजकता का शिकार हो रही है. राहुल के इस्तीफे के बाद अगले अध्यक्ष को लेकर अंदर मंथन जारी है बाहर असमंजस कायम है. राहुल के बाद कई और नेता इस्तीफा दे चुके हैं. कुल मिलाकर कांग्रेस अस्त-व्यस्त और पस्त है.