मुंबई: महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार तो हो गया है, लेकिन मंत्रियों को विभागों के बंटवारे का पेंच अभी भी फंसा हुआ है. कुछ ऐसे अहम मंत्रालय हैं जो कांग्रेस चाहती है, लेकिन शिवसेना और एनसीपी उसे देने के लिए तैयार नहीं है.
सोमवार को विधान भवन में 36 मंत्रियों के शपथ लेने के बाद अब उद्धव ठाकरे का कुल 43 मंत्रियों वाला मंत्रिमंडल तैयार हो चुका है. मंत्रियों ने शपथ तो ले ली है, लेकिन अब तक उन्हें ये नहीं पता कि उन्हें कौनसा मंत्रालय मिलेगा. विभागों के बंटवारे को लेकर तीनों पार्टियों में विवाद चल रहा है.
सबसे ज्यादा झगड़ा कृषि मंत्रालय को लेकर चल रहा है. किस पार्टी को कितने मंत्री पद मिलेंगे और कौन-कौन से मंत्रालय उनके हिस्से में आएंगे, इन सवालों पर सरकार बनने से पहले ही चर्चा हो चुकी थी, लेकिन अब पूरा मंत्रिमंडल गठित होने के बाद फिर से यह सवाल उठ खड़े हो गए हैं. पहले से तय फार्मूले के मुताबिक कृषि मंत्रालय शिवसेना के कोटे में आता है, लेकिन कांग्रेस ये मंत्रालय मांग रही है.
इसके साथ ही कांग्रेस ने एनसीपी के हिस्से में गए एक अहम मंत्रालय पर भी अपना दावा ठोका है. शिवसेना और एनसीपी दोनों ही अपने हिस्से में आए मंत्रालयों को कांग्रेस को नहीं देना चाहती हैं.
जिन मंत्रालयों को लेकर झगड़ा चल रहा है वे ग्रामीण इलाकों से जुड़े हुए हैं. जाहिर है सरकार में आकर ये तीनों ही पार्टियां महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती हैं. इसलिए उन मंत्रालयों की मांग हो रही है, जो सीधे-सीधे ग्रामीण जीवन को छूते हों.
बुधवार को मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर तीन बार तीनों ही पार्टियों के बीच कई घंटे लंबी बैठक चली, लेकिन तीनों ही बैठकें बेनतीजा रहीं. उम्मीद की जा रही है कि आज होने वाली बैठक में मंत्रालयों का बंटवारा तय हो जाएगा और इसकी जानकारी राज्यपाल को भेज दी जाएगी.
मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर न केवल तीनों पार्टियों में झगड़ा चल रहा है, बल्कि कांग्रेस के भीतर भी इस मुद्दे को लेकर विवाद है कुछ मंत्रालय ऐसे हैं जिन पर कांग्रेस के एक से ज्यादा नेता अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं. ठाकरे सरकार में सीएम को जोड़कर 15 मंत्री शिवसेना के हैं, 16 मंत्री एनसीपी के हैं और 12 मंत्री कांग्रेस के हैं.
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