पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने बताया उनकी किस योजना की आलोचना हुई?
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि करोड़ों लोग गरीबी में हैं. दुनिया में करोड़ों लोग ऐसे हैं जिनके पास पर्याप्त खाने, साफ पानी और रहने की सुविधा नहीं है. विकास के नाम पर प्रकृति को उसकी मार झेलनी पड़ती है.
नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत जैसे विकासशील देश के लिए आर्थिक विकास जरूरी है, लेकिन इसके साथ इस विकास के पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को भी देखना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार के समय प्रकृति को प्रभावित करने वाली परियोजनाओं को मंजूरी देने में चुनिंदा रुख अपनाया गया जिसकी आलोचना भी हुई.
वह मशहूर प्रकृतिवादी और प्रसारक सर डेविड एटनबरो को इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने के मौके पर बोल रहे थे. सिंह ने कहा, ''आज जब अपने ग्रह की स्थिति देखते हैं तो सर डेविड की चिंताएं सही साबित होती हैं. यह परिस्थिति कितनी गंभीर है वो इससे स्पष्ट हो जाती है कि आज एक महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया है.''
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ''करोड़ों लोग गरीबी में हैं. दुनिया में करोड़ों लोग ऐसे हैं जिनके पास पर्याप्त खाने, साफ पानी और रहने की सुविधा नहीं है. विकास के नाम पर प्रकृति को उसकी मार झेलनी पड़ती है. परंतु सर डेविड की तरह मेरा भी मानना है कि हमारे लिए संभव है कि हम सीमाओं का सम्मान करें और हमेशा आर्थिक विकास की कीमत से अवगत रहें.''
उन्होंने कहा, ''मेरे प्रधानमंत्री रहने के दौरान हम आर्थिक विकास को गति देने और देश के लोगों के जीवन स्तर को उठाने को अपने कर्तव्य को लेकर सजग थे. यह किसी भी सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.''
सिंह ने कहा, ''इसके साथ ही हम वनक्षेत्र अथवा वन्यजीव को प्रभावित करने वाली परियोजनाओं को लेकर बहुत चुनिंदा थे. इस कारण कई उद्योगपतियों और उन लोगों ने आलोचना भी की जो सोचते थे कि हम बहुत संकीर्ण हो रहे हैं.''
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