गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को सीआरपीएफ के सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) मोहनलाल को वीरता के लिए सर्वोच्च पुलिस पदक से सम्मानित किया गया. वर्ष 2019 में पुलवामा में विस्फोटकों से लदी एक कार ने सीआरपीएफ की एक बस को टक्कर मारी थी जिससे मोहनलाल और बस में सवार 39 अन्य जवान शहीद हो गए थे.
इस घटना से पहले एएसआई मोहनलाल ने बहादुरी दिखाते हुए कार का पीछा किया था और उस पर गोली चलाकर उसे रोकने का प्रयास किया था. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक सूची के अनुसार केंद्र सरकार ने कुल 207 पुलिस वीरता पदक प्रदान करने की घोषणा की है. इसके अलावा उल्लेखनीय सेवा के लिए 89 राष्ट्रपति पुलिस पदक और 650 पुलिस पदक देने की घोषणा की गई है.
इस बार ‘वीरता के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक’ सीआरपीएफ के मोहनलाल और झारखंड पुलिस के दिवंगत एएसआई बनुआ ओरांव को दिए गए हैं. दूसरे सर्वोच्च पुलिस सम्मान, ‘वीरता के लिए पुलिस पदक’ के लिए 205 कर्मियों का चयन किया गया है. एएसआई मोहनलाल (50), 14 फरवरी 2019 को पुलवामा के लेथपुरा में बीएसएनएल टावर के पास जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर मील के पत्थर संख्या 272 पर सीआरपीएफ की ‘रोड ओपनिंग पार्टी’ के पिकेट कमांडर थे जब जैश ए मोहम्मद आतंकी संगठन द्वारा हमला किया गया था.
दो सौ किलोग्राम विस्फोटक से भरी कार आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार चला रहा था. सीआरपीएफ के अनुसार मोहनलाल ड्यूटी पर तैनात थे जब उन्होंने हमलावर कार को देखा ‘‘जो काफिले के साथ चल रही थी और वाहनों के बीच में घुसने का प्रयास कर रही थी. उन्होंने कार को रोकने का इशारा किया और उसके पीछे दौड़े लेकिन वह उसे नहीं रोक पाए. सीआरपीएफ के अनुसार अंतत: उनके पास गोली चलाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था लेकिन कार सीआरपीएफ की बस से जा टकराई और एक भीषण धमाके में मोहनलाल समेत 40 जवान शहीद हो गए.
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