श्रीनगर: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने आपात स्थिति में फंसे लोगों को बचाने के लिए साल 2017 में 'मददगार' टीम की स्थापना की थी. इस टीम ने 24 घंटे चलने वाले हेल्पलाइन के जरिए देश के अनेक हिस्से में मुसीबत में फंसे लोगों की मदद की है. इस कारण टीम को समाज के हर हिस्से से तारीफें मिल रही हैं.
हाल ही में कश्मीर में मददगार टीम के हेल्पलाइन पर उत्तर कश्मीर के बारामूला शहर से एक पिता ने फोन कर सहायता मांगी. पिता को अपने नवजात के लिए ओ नेगेटिकव ब्लड की जरूरत थी. सीआरपीएफ की नजदीकी इकाई को तत्काल सतर्क किया गया और जवान ओ नेगेटिव ब्लड लेकर जिला अस्पताल पहुंचे और नवजात को खून दिया गया. कुछ दिनों बाद शिशु को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.
कश्मीर के ही सोपोर जिले के गुंडब्रथ के रहने वाले मुश्ताक तांत्रे गुर्दे की बीमारी से लंबे वक्त से ग्रस्त हैं. साल 2016 में उनकी आर्थिक हालात खराब हो गई और उन्हें अपना सबकुछ बेचकर अपनी पत्नी, मुबीना और तीन बच्चों के साथ टीन के छप्पर में स्थानांतरित होना पड़ा. अब तांत्रे के डाइलिसीस का ख्याल बीते दो साल से सीआरपीएफ की यह टीम रख रही है.
इस टीम की स्थापना के पीछे सीआरपीएफ के पुलिस महानिरीक्षक जुल्फीकार हसन का हाथ है. हसन पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने बताया, ‘‘यह देश के लोगों के साथ कमी को पाटने का सीआरपीएफ का एक प्रयास है. नतीजे प्रोत्साहित करने वाले हैं और मुझे यकीन है कि हम लोगों की बेहतर तरीके से सेवा कर पाएंगे.’’
‘मददगार’ कॉल सेंटर के प्रमुख सहायक कमांडेंट गुल जैनेद खान ने बताया कि पिछले साल दिसंबर में, बिहार से ट्रेन में सफर कर रही एक लड़की ने फोन किया और तीन लड़कों द्वारा छेड़छाड़ करने की शिकायत की. उन्होंने बताया कि कश्मीर में स्थित कॉल सेंटर में सतर्क उपनिरीक्षक ने लड़की से पीएनआर संख्या ली और ट्रेन की स्थिति जांची. अगले स्टेशन पर आरपीएफ को सूचित किया और तीनों लड़कों को गिरफ्तार कर लिया गया.
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