CRS Data: साल 2020 में मेडिकल सुविधाएं न मिलने से हुई 45 फीसदी मौतें, कोरोना के दौरान दूसरी बीमारियां लाइलाज क्यों?
No Medical Care: सीआरएस से जारी आंकड़ों के मुताबिक 2020 में देश में कुल 81.16 लाख लोगों की मौत हुई थी. इनमें से 45 फीसदी लोगों की जान कोई मेडिकल ट्रीटमेंट न मिलने की वजह से गई.

CRS Data on Health Facilities: कोरोना महामारी से पूरी दुनिया अभी तक जंग लड़ रही है. भारत में भी इस बीमारी का काफी गहरा प्रभाव पड़ा है. कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में काफी संख्या में लोगों की जान गई है. 2020 के लिए नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) डेटा में चौकाने वाला खुलासा हुआ है. जो दर्शाता है कि महामारी के दौरान लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंचना कितना मुश्किल था. साल 2020 में दर्ज की गई सभी मौतों में से 45 फीसदी से अधिक मौत मेडिकल देखभाल के अभाव में हुई है. ये आंकड़े 2020 में अस्पतालों और अन्य चिकित्सा सुविधाओं में तेज गिरावट को भी दर्शाता है.
2020 में 45 फीसदी लोगों की इलाज न मिलने से गई जान
2020 में देश में कुल 81.16 लाख लोगों की मौत हुई थी. इनमें से 45 फीसदी लोगों को कोई मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं मिला था. देश में महामारी के दौरान मेडिकल सुविधाओं तक सबकी पहुंच न हो पाना एक बेहद ही चिंता का विषय रहा. 2020 में कई महीनों के लिए जब महामारी ने पहली बार दुनिया को जकड़ लिया था, गैर-कोविड मेडिकल सेवाओं को या तो निलंबित कर दिया गया था या इस पर बहुत कम ध्यान दिया जा रहा था. देश में कई अस्पतालों में 80 से 100 फीसदी बेड कोविड के मरीजों के आरक्षित किए गए थे. इसका परिणाम ये हुआ कि भारी संख्या में लोग गैर कोविड बीमारियों के लिए चिकित्सा देखभाल प्राप्त करने में असमर्थ थे.
मेडिकल सुविधा न मिलना गंभीर समस्या!
सीआरएस आंकड़ों (CRS Data) के मुताबिक मेडिकल देखभाल के अभाव में मरने वालों का अनुपात 2019 में दर्ज सभी मौतों के 34.5 फीसदी से बढ़कर 2020 में 45 फीसदी हो गया, जो एक साल में सबसे बड़ी छलांग है. इसके साथ ही, संस्थागत देखभाल के तहत होने वाली मौतों में 2019 में 32.1 फीसदी से घटकर 2020 में 28 फीसदी की गिरावट आई है, जो अब तक की सबसे तेज गिरावट है. चिकित्सा सुविधा के अभाव में होने वाली मौतों का अनुपात पिछले एक दशक में लगातार बढ़ रहा है, जो कि एक गंभीर समस्या है.
ये भी पढ़ें:
2011 में मेडिकल देखभाल के अभाव में 10 % लोगों की हुई मौत
साल 2011 में सभी दर्ज मौतों में से केवल 10 फीसदी मेडिकल देखभाल के अभाव में हुईं. लेकिन यह वह समय भी था जब देश में 70 फीसदी से भी कम मौतें दर्ज की जा रही थीं. जैसे-जैसे मृत्यु पंजीकरण का स्तर बढ़ता गया, वैसे-वैसे चिकित्सा संस्थानों के बाहर होने वाली मौतों का अनुपात भी बढ़ता गया. 2017 और 2018 में, संस्थागत मौतों का अनुपात और बिना मेडिकल देखभाल के लोगों का अनुपात लगभग बराबर था. सभी पंजीकृत मौतों का लगभग एक-तिहाई हिस्सा था. शेष एक-तिहाई ऐसी मौतें थीं जिनके लिए चिकित्सा देखभाल की जरूरत नहीं थी, या घर पर कुछ चिकित्सा देखभाल प्राप्त हुई थी. कुल मिलाकर रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय द्वारा मंगलवार को जारी किए गए सीआरएस के आंकड़ों से पता चला है कि 2020 में देश में 81.16 लाख मौतें दर्ज की गईं. जो पिछले साल की संख्या की तुलना में लगभग छह फीसदी अधिक है.
ये भी पढ़ें:
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
