कोविड वैक्सीन बनाने पर CSIR का फैसला, तीन कंपनियों के साथ मिलकर विकसित करेगी तकनीक
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (सीएसआईआर) ने तीन अन्य कंपनियों के साथ समझौता किया है. ये समझौता वैक्सीन में लगने वाले सामान को बनाने के चलते किया गया है.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (सीएसआईआर) ने हैदराबाद के भारत बायोटेक और दो अन्य कंपनियों के साथ मिलकर वैक्सीन और बायोथेराप्यूटिक्स के लिए नई तकनीक विकसित करने की घोषणा की है. दरअसल ये समझौता इसलिए हुआ क्योंकि अमेरिका और स्वीडन जैसे देशों ने कोविड 19 की वैक्सीन को बनाने में लगने वाले सामान पर रोक लगा दी है. भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने बताया कि अमेरिका ने वैक्सीन बनाने में लगने वाली कुछ चीजों पर रोक लगा दी है. इसलिए उन्हें दूसरे देशों में निर्यात नहीं किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि वैक्सीन बनाने में कुछ जरूरी चीजें लगती हैं जो अमेरिका अब नहीं देगा इसलिए हमें अपने देश में ही उनकी कमी को पूरा करना होगा. लेकिन एला ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि वो कौन सी चीजें हैं जिन्हें लेकर भारत अमेरिका पर निर्भर है.
भारत में बनेंगी वैक्सीन में लगने वाली सामग्री
CSIR और भारत बायोटेक ने मिलकर कोवाक्सिन की टीएलआर 7/8 को बनाया है. ये वैक्सीन की डोज ले चुके लोगों में बेहतर इम्यून सिस्टम बढ़ाने में मदद करता है. हालंकि अभी भी भारत वैक्सीन बनाने में लगने वाले कच्चे माल के लिए चीन और अन्य देशों पर निर्भर है. लेकिन अब भारत में ही बाकी सब वैक्सीन को ठीक वैसे ही बनाया जाएगा जैसे कोवैक्सिन टीएलआर को बनाया गया है. इस महान समझौते में शामिल अन्य कंपनियां बायोवेट और सैपजेन बायोलॉजिक्स हैं.
अमेरिका ने निर्यात पर लगाई रोक
मार्च की शुरुआत में कोविड 19 वैक्सीन के निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और बायोलॉजिकल ई ने भी वैक्सीन के उत्पादन के लिए कच्चे माल की समस्या को जाहिर किया था. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला के बताया कि अमेरिका ने इस महामारी के दौरान कच्चे माल के निर्यात पर रोक लगाई है. इसलिए प्लास्टिक बैग, फिल्टर और कुछ अन्य महत्वपूर्ण चीजों का निर्यात नहीं हो सकेगा.
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