नई दिल्ली: क्या कोरोना वायरस हवा में फैल सकता है, क्या कोई संक्रमित व्यक्ति हवा में खांसी तो हवा से किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है. इस बारे में भारत की प्रतिष्ठित संस्था सीएसआईआर अब रिसर्च कर रही है कि क्या कोरोना वायरस हवा में फैल सकता है और लोगों को संक्रमित कर सकता है. इस बारे में सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल डॉ शेखर मांडे नहीं एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की और बताया कि कैसे और कहां चल रही है यह रिसर्च.


डॉ शेखर मांडे ने कहा, 'हम लोग यह खोजना चाहते हैं कि वाकई में कोरोना वायरस क्या हवा से फैलता सकता है या नहीं. जो व्यक्ति कोरोना ग्रस्त हो और वो आदमी जब बात करता है या छिंक्ता है तो मुंह से जो ड्रॉपलेट निकलती है उसमें हो सकता है कि कोरोनावायरस उस ड्रॉपलेट में हो. आज तक डब्ल्यूएचओ का मानना यह था यह जो ड्रॉपलेट बड़ी बड़ी होती है वह सरफेस पर जाकर सेटल हो जाती हैं इसलिए को हवा से इतनी जल्दी फैल नहीं सकता. लेकिन अब यह भी पाया जा रहा है दुनिया में छोटे-छोटे ड्रॉपलेट्स में भी कोरोनावायरस हो सकता है और यह छोटे ड्रॉपलेट हवा में ज्यादा देर तक रह सकते हैं.'


उन्होंने कहा, 'हम लोग खोज करने की कोशिश कर रहे हैं किए ड्रॉपलेट हवा में कितनी देर रहते हैं और सही में इसका संकट है या नहीं. हमारी दो प्रयोगशाला है एक इंस्टिट्यूट ऑफ माइक्रोबॉयल टेक्नोलॉजी चंडीगढ़ और दूसरी सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलेक्युलर बायोलॉजी हैदराबाद यह दोनों इस खोज में लगे हैं.'


15 अगस्त तक आ सकते हैं नतीजे
डॉ शेखर मांडे ने कहा, जांच में 10 से 15 दिन और लगेंगे, ज्यादा इन्वोलड स्टडी नहीं है. हवा की सैंपलिंग करना ज्यादा आवश्यक है हवा की सैंपलिंग करने के बाद उसका पीसीआर करके दिखाना कि वायरस है या नहीं उसमें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा और मुझे लगता है कि 15 अगस्त तक नतीजे आ सकते हैं.


उन्होंने कहा, हवा में अगर रहता हूं और इस सवाल का जवाब अगर हां है तो यह जरूर होगा कि बंद कमरों में ज्यादा देर तक रहेगा जहां पर वेंटिलेशन नहीं है वहां ज्यादा देर तक रहेगा और जहां सेंट्रलाइज्ड एसी है वो रह सकता है. इसलिए हमें मानना चाहिए कि बुरी से बुरी स्थिति में अगर हवा में होगा हमें कमरे खुले रखना चाहिए वेंटिलेशन होना चाहिए ऐसा करें तो अच्छा रहेगा.


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