(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कोरोना: ACQH वनस्पति के क्लीनिकल ट्रायल की शुरुआत करने जा रही है CSIR, DCGI से मिली अनुमति
CSIR एक वनस्पति के क्लीनिकल ट्रायल की शुरुआत करने जा रही है.इसके लिए DCGI से अनुमति मिल गई है.
नई दिल्ली: दुनिया में कई देश इस समय कोरोना की दवा तलाश रहे है. वहीं भारत में भी कोरोना का इलाज ढूंढा जा रहा है. भारत की प्रतिष्ठित संस्था सीएसआईआर यानी काउंसिल फॉर साइंटिफिक इंडस्ट्रियल रिसर्च भी कई दवाइयों की क्लीनिकल ट्रायल कर रही है. वहीं अब सीएसआईआर एक वनस्पति के क्लीनिकल ट्रायल की शुरुआत करने जा रही है. जिसके लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से उसे अनुमति भी मिल गई है. ACQH नाम की वनस्पति का क्लीनिकल ट्रायल जल्द ही शुरू होने जा रहा है.
ACQH नाम की ये एक बेल है. ये वनस्पति मध्य प्रदेश, झारखंड और राजस्थान जैसे जगहों में मिलती और और आदिवासी इसका अलग अलग बीमारी पर खूब इस्तेमाल भी करते हैं. वहीं सीएसआईआर ने ACQH नाम के इस वनस्पति का ट्रायल पहले से कर रही थी. डेंगू के इलाज के लिए इसके अच्छे नतीजे भी मिले हैं. वहीं अब सीएसआईआर को लगता है जैसे नतीजे डेंगू में मिले हैं वो कोविड में भी मिलेंगे.
सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल डॉ शेखर मांडे ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया, " इसका हमने कुछ वक्त पहले ट्रायल शुरू किया था जो अभी भी चल रहा है लेकिन ये ट्रायल डेंगू पर चल रहा हैं उस वनस्पति का एक्सट्रेक्ट लेकर. इस वनस्पति को हम ACQH कहते हैं ये इसका नाम है. इसमें डेंगू पर हमें बहुत अच्छे प्रमाण मिले हैं. इसलिए हमने डीसीजीआई से कोविड-19 के लिए अनुमति मांगी थी जिसे हमें मंजूरी मिल गई है."
सीएसआईआर के डीजी डॉ शेखर मांडे के मुताबिक, "भारत में डीसीजीआई इसको फाइटोफार्मास्यूटिकल कहता है यानी वनस्पति का एक्सट्रैक्ट. यूएसएफडीए में इसे बॉटनिकल कहते हैं. आधुनिक दवाइयों में ऐसा होता है. यूएस एफडीए में कई साल पहले तक अगर दवा प्यूरीफाइड मॉलिक्यूल होगी तो ही मंजूरी दी जाती थी. लेकिन कुछ साल पहले वनस्पतियों के एक्सट्रेक्ट में भी जिस में पूरा मॉलिक्यूल अगर ना किया हो लेकिन एक्सट्रेक्ट जिसमें कई मॉलिक्यूल एक साथ हो जैसे मिश्रण हो तो उसे भी माना जाता है कि हम बीमारियों से लड़ सकते हैं. ट्रेडिशनल चाइनीस मेडिसिन और हमारे आयुर्वेद में इसका काफी प्रचलन है."
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति मिलने के बाद जल्द इसका ट्रायल शुरू किया जाएगा. ये ट्रायल एक ट्राय पार्टी कोलैबोरेशन है. जिसमें सीएसआईआर, दिल्ली की एक इंस्टीट्यूट इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक एंड बायो टेक्नोलॉजी और एक फार्मास्यूटिकल कंपनी शामिल है. ये तीनों मिलकर ट्रायल करने जा रहे हैं. इसके लिए कुछ अस्पतालों कुछ मरीजों पर इसका ट्रायल किया जाएगा.
आपको बता दें कि सीएसआईआर इन्फ्लूएंजा की इलाज में इस्तेमाल होने वाली फेविपराविर और स्पेसिसी में इस्तेमाल होनेवाले एमडब्ल्यू नाम के ड्रग के क्लीनिकल ट्रायल की इजाज़त मिल चुकी है और ट्रायल शुरू भी हुए है.
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