नई दिल्ली: वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरी (NAL) ने कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए एक नॉन-इनवेसिव वेंटिलेटर BIPAP बनाया है. ये वेंटिलेटर रिकॉर्ड 36 दिनों के भीतर तैयार कर लिया गया है. इस वेंटिलेटर को 'स्वास्थ्य वायु' नाम दिया गया है.
डीजी सीएसआईआर डॉ शेखर सी मांडे ने कहा कि सीएसआईआर-एनएएल टीम ने एयरोस्पेस डिजाइन डोमेन में अपनी विशेषज्ञता के आधार पर स्पिन-ऑफ तकनीक को सक्षम किया है. एनएएल हेल्थ सेंटर में इस प्रणाली के कड़े बायोमेडिकल परीक्षण और बीटा क्लिनिकल परीक्षण हुए हैं.
सीएसआईआर-एनएएल के डायरेक्टर जितेंद्र जे जाधव ने कहा कि वैश्विक अनुभव के आधार पर और भारत व विदेशों में मौजूद फेफड़े रोग विशेषज्ञों से परामर्श के आधार पर सीएसआईआर-एनएएल ने BIPAP गैर-इनवेसिव वेंटिलेटर तैयार किया है. जो बाहरी ऑक्सीजन कंसंटेटर से जुड़ा होता है. गैर-इनवेसिव वेंटिलेटर मध्यम या मध्यम स्तर के गंभीर कोरोना मरीजों का इलाज करने में सक्षम होगा. इन्हें इनवेसिव वेंटिलेशन की आवश्यकता नहीं होती है.
मशीन की सबसे खास बात
अधिकारियों ने कहा कि इस मशीन की सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसके इस्तेमाल के लिए किसी स्पेशल नर्सिंग की आवश्यकता नहीं है. ये किसी वार्ड, अस्थायी अस्पताल या डिस्पेंसरी में भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है. साथ ही नर्सिंग स्टाफ को इसके लिए प्रशिक्षित करने की जरूरत नहीं है. इसे स्वदेशी उपकरण और तकनीक से तैयार किया गया है. इसे एनएबीएल की मान्यता प्राप्त एजेंसियों ने प्रमाणित किया है. जल्द ही नियामक अधिकारियों से मंजूरी मिलने के बाद अस्पतालों में गैर-इनवेसिव वेंटिलेटर का इस्तेमाल शुरू हो जाएगा.
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