नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत को कैशलेस और लेसकैश बनाने के दावे पूरे होते दिखाई नहीं दे रहे हैं. उलटे इस समय मार्केट में कैश करेंसी अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. रिजर्व बैंक के डेटा के मुताबिक इस समय देश में लोगों के पास 18.5 लाख करोड़ से ज्यादा की राशि कैश में उपलब्ध है. 2016 में नोटबंदी के समय 7.8 लाख करोड़ की राशि कैश में मौजूद थी. मौजूदा कैश राशि नोटबंदी के समय के मुकाबले दोगुनी है.


इसी तरह रिजर्व बैंक ने कुल 19.3 लाख करोड़ की राशि सर्कुलेशन में रखा है. नोटबंदी के समय ये राशि 8.9 लाख करोड़ रुपये थी. नोटबंदी के पहले जीडीपी के मुकाबले कैश राशि बेहद कम थी. ज्यादा कैश राशि का मतलब है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों ने बैंकों से पैसे निकाल लिए हैं. हालांकि मोदी सरकार ने नोटबंदी के जरिए कहा था कि वे देश में लेसकैश का सिस्टम बनाना चाहते हैं. हालांकि कुछ महीने पहले ये खबर आई थी कि देश भर के कई एटीएम मशीनों में पैसे नहीं हैं और कैश की कमी हो गई है. उस समय बताया गया था कि कैश की जमाखोरी की वजह से एटीएम मशीनों में पैसे नहीं हैं.


आपको बता दें कि 8 नवंबर 2016 की आधी रात 500 और 1000 के पुराने नोट को चलन से बाहर कर दिया गया था. लोगों को पुराने नोटों को बैंक में वापस करने के लिए समय दिया गया. तब दावा किया गया था कि जो भी ब्लैक मनी होगा वो सिस्टम में वापस नहीं आएगा. लेकिन आरबीआई ने पिछले साल अगस्त में बताया कि लगभग 99 प्रतिशत बैन किए गए नोट्स सिस्टम में वापस आ गए. रिजर्व बैंक के मुताबिक बंद की गई 15.44 लाख करोड़ राशि में से 15.28 लाख करोड़ की राशि सिस्टम में वापस आ गई.