Jamnagar Custodial Death Case: गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) ने शुक्रवार (6 मई) को एक आदेश पारित कर भारतीय वायु सेना (IAF) के तीन अफसरों की आजीवन कारावास की सजा निलंबित कर दी है. इसके साथ ही तीनों को सशर्त जमानत भी दी गई है. हिरासत में मौत के 28 साल पुराने मामले में स्पेशल कोर्ट ने बीते साल तीनों अधिकारियों को दोषी ठहराया था.


जस्टिस एसएच वोरा और जस्टिस एसवी पिंटो की खंड पीठ ने तीनों को जमानत देते हुए शर्त रखी कि वे देश नहीं छोड़ेंगे और दोषी ठहराए जाने के खिलाफ दायर अपनी याचिका पर सुनवाई के दौरान मौजूद रहेंगे.


सीबीआई कोर्ट ने सुनाई थी सजा


सीबीआई की विशेष अदालत ने वायु सेना के रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन अनूप सूद, रिटायर्ड सार्जेंट अनिल केएन और ड्यूटी कर रहे सार्जेंट महेंद्र सिंह शेरावत को 1995 में जामनगर के एयरफोर्स स्टेशन में हुई हिरासत में मौत के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. सीबीआई अदालत के फैसले को तीनों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.


पीठ ने शुक्रवार को सेवानिवृत्त ग्रुप कैप्टन अनूप सूद, सेवानिवृत्त सार्जेंट अनिल केएन और सेवारत सार्जेंट महेंद्र सिंह शेरावत की सजा को यह कहते हुए निलंबित कर दिया कि दोषियों को "बरी होने का उचित मौका मिलता है और धारा 302, 348, 177 के तहत दर्ज की गई सजा को धारा 120 के साथ पढ़ा जाता है- आईपीसी का बी स्पष्ट रूप से गलत है और दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं हो सकती है.


हाई कोर्ट ने सजा की निलंबित


हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद तीनों की आजीवन कारावास की सजा को यह कहते हुए निलंबित कर दिया कि दोषियों को बरी होना का उचित मौका मिलना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि आपीसी की धारा 120-बी के साथ 302, 348 और 177 के तहत दर्ज की गई सजा स्पष्ट रूप से गलत है और दोषसिद्धि के लिए टिकाऊ नहीं हो सकती है.


क्या था मामला


1995 में एयरफोर्स के जामनगर स्टेशन में रसोइया के रूप में काम करने वाली गिरजा रावत की हिरासत में मौत हो गई थी. इस मामले में 8 अभियुक्तों को हत्या के मामले में आरोपी बनाया गया था. तीन अभियुक्तों को बरी कर दिया गया था, जबकि एक की सुनवाई के दौरान मौत हो गई. तीन को दोषी ठहराया गया, जिसमें दो सेवानिवृत्त और एक सेवारत अफसर शामिल हैं. एक अन्य आरोपी जामनगर वायु सेना पुलिस के तत्कालीन प्रमुख जेएस सिद्धू फरार हैं.


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