नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में कट मनी के मुद्दे पर लगातार हंगामा हो रहा है. ममता सरकार कठघरे में है. आरोप है कि नीचे से लेकर ऊपर तक टीएमसी के कार्यकर्ता से लेकर नेता तक हर कोई कट मनी ले रहा है. छोटे से छोटा काम और बड़े से बड़ा काम तभी हो पाएगा जब कट मनी दिया जाएगा.
हाल ही में ममता बनर्जी ने भी इसको लेकर जब काउंसलर्स के साथ एक बैठक की तो वहां पर इस बात का जिक्र किया और ममता का वह वीडियो भी वायरल हो गया. कथित वीडियो में ममता कह रही हैं कि इतना ज्यादा पैसा भी मत लो कि लोग परेशान हो जाएं. बीजेपी ने भी इस बयान को मुद्दा बनाया है और वह लगातार सवाल उठा रही है.
बीजेपी का कहना है कि यह सब ममता के इशारे पर हो रहा है क्योंकि इस कट मनी के ज़रिये ही टीएमसी को पैसा मिलता है. ममता बनर्जी के इस बयान के बाद लोग नेताओं का घेराव करने लगे हैं और दबाव में कहीं-कहीं पर तो टीएमसी नेता पैसे वापस करते हुए भी नजर आने लगे हैं.
कट मनी है क्या?
समझने की जरूरत है कि आखिर कट मनी है क्या? जिसको लेकर इतना हंगामा हो रहा है. एक उदाहरण के तौर पर केंद्र सरकार की योजना है सब को आवास देने की और इसके लिए अगर एक शख्स को 3 लाख रुपये दिया जाना है तो वह उसको तभी मिल सकता है जब वह शख्स स्थानीय नेता को 10 फीसदी यानी कि ₹30,000 दे.
इतना ही नहीं बीजेपी नेताओं का आरोप है कि टीएमसी के छोटे से छोटे नेता और बड़े से बड़े नेता सरकारी योजनाओं का फायदा पहुंचाने के लिए भी लोगों से कट मनी ले रहे हैं.
लोकसभा में उठा मुद्दा
‘कट मनी’ लिये जाने के आरोपों पर लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली. इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लोगों को शांत कराते हुए कहा कि ‘सदन को बंगाल विधानसभा मत बनाइए.’
बीजेपी की लॉकेट चटर्जी ने मंगलवार को सदन में शून्यकाल के दौरान आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल में ‘‘जन्म से लेकर मृत्यु तक हर जगह कट मनी ली जाती है.’’ उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और राज्य सरकार पर इस तरह का आरोप लगाया था जिसे लेकर दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच नोकझोंक हुई थी.
इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने बुधवार को सदन में कहा कि बीजेपी सदस्य ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर आरोप लगाये जो इस सदन में उपस्थित नहीं हैं. इसलिए इस संबंध में कही गई बातों को सदन के रिकार्ड से निकाला जाना चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था के प्रश्न को सदन में नहीं उठाया जा सकता. इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह सारी कार्यवाही को देखने के बाद इस संबंध में व्यवस्था दे देंगे.
क्या है आरोप?
आरोप है कि टीएमसी के नेता लाभार्थी से पहले ही चेक साइन करवा कर ले लेते हैं और जब उस लाभार्थी को पैसा देना होता है तो वह उसको बैंक में लगा देते हैं और लाभार्थी के खाते में पैसा पहुंचता है उस चेक के जरिए पैसे को निकाल लेते हैं.
भ्रष्टाचार के इस बात का अंदाजा खुद ममता बनर्जी को भी है. क्योंकि हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में जिस तरह से टीएमसी का ग्राफ गिरा है और बीजेपी का ग्राफ बढ़ा है उसने ममता बनर्जी को भी परेशान कर दिया है.
टीएमसी का ग्राफ के गिरने की एक वजह कट मनी को भी माना जा रहा है. इन आरोपों पर टीएमसी के नेता जवाब देने से बच रहे हैं. आज जब पत्रकारों ने टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा, डेरेक ओ ब्रायन से सवाल किए तो उन्होंने जवाब नहीं मिला. साफ है कि इस मुद्दे पर टीएमसी फिलहाल बैकफुट पर है. क्योंकि यह मुद्दा सीधे तौर पर जनता से जुड़ा हुआ है और अब जनता इसको लेकर सवाल भी खड़े करने लगी है.