नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी के नेतृत्व में पहली बार हो रही CWC की बैठक में दूसरी पार्टियों से गठबंधन करने और राहुल गांधी को गठबंधन का चेहरा बनाने पर ज़ोर दिया गया. सचिन पायलट, शक्ति सिंह गोहिल, रमेश चेन्निथला जैसे कुछ नेताओं ने कहा कि पार्टी को रणनीतिक गठबंधन बनाना चाहिए. साथ ही कोशिश करनी चाहिए कि गठबंधन के केंद्र में कांग्रेस हो. इन नेताओं का कहना था कि कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरें और राहुल गांधी गठबंधन का चेहरा हों.


खास बात ये है कि सोनिया गांधी से लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदम्बरम तक ने गठबंधन पर जोर दिया. चिदम्बरम का तर्क है कि 12 राज्यों में पार्टी अपने दम पर सांसदों की संख्या तिगुनी (150) कर सकती है. इसके साथ ही चिदम्बरम का कहना है कि दूसरे राज्यों में साथियों के साथ बीजेपी को रोक जा सकता है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने चिदम्बरम के इस तर्क का समर्थन किया.


इसके साथ ही कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने कहा कि लोकतंत्र बचाने के लिए समान विचारधारा वाले दलों को व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं छोड़कर साथ आना चाहिए. सोनिया ने पीएम मोदी का नाम लिए बगैर कमलनाथ, चिदंबरम सरीखे नेताओं से कहा कि आरएसएस और उसकी विचारधारा से लड़ना है.


गठबंधन पर जोर देने के साथ ही CWC की बैठक में 2019 के चुनाव को देखते हुए संगठन को मज़बूत करने का संकल्प लिया गया.


बैठक की बड़ी बातें:-




  1.  मोदी सरकार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया, नाकामयाबियों को जनता के बीच लेकर जाना है.

  2. चिदम्बरम ने गठजोड़ को लेकर प्रेजेंटेशन भी दिया. तर्क दिया 12 राज्यों में पार्टी मजबूत है-150 सीटें जीत सकती है

  3. सोनिया ने कहा कि लोकतंत्र बचाने के लिए लाइक माइंडेड दलों को व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं छोड़कर साथ आना चाहिए

  4.  मोदी का नाम ना लेकर सोनिया गांधी ने कमलनाथ, चिदंबरम सरीखे नेताओं ने कहा कि आरएसएस और उसकी विचारधारा से लड़ना है

  5. सीडब्ल्यूसी की बैठक में सभी नेताओं ने मोदी का नाम लेने से परहेज किया

  6.  विशेष न्यौते के बावजूद CWC में नहीं पहुंचे दिग्विजय सिंह, जनार्दन द्विवेदी

  7. जनार्दन द्विवेदी और दिग्विजय सिंह का पहले से व्यक्तिगत कार्यक्रम तय था, दोनों ने आलाकमान को पहले ही बता दिया था कि उनका पहले से व्यक्तिगत कार्यक्रम है, इसलिए नहीं आ सकते.