नई दिल्लीः अपराधी मंसूबे को साकार करने के लिए उन्नत तकनीक का सहारा ले रहे हैं. कुछ ऐसा ही खुलासा किया है रेलवे की साइबर सेल ने. उसने रेलवे का जाली टिकट और अवैध सॉफ्टवेयर बनानेवाले गैंग का पर्दाफाश किया है. आरोपियों से पूछताछ में चौंकानेवाला खुलासा हुआ है. गैंग के सदस्यों ने आईआरसीटीसी के ख़िलाफ़ ट्विटर पर मुहिम चलाने का मंसूबा बनाया था. इसका मकसद आईआरसीटीसी की वेबसाइट को कमजोर करना था.


रेलवे की साइबर सेल ने जाली टिकट गैंग का किया पर्दाफाश


सूत्रों का कहना है कि पहले महिलाओं के नाम से फर्जी प्रोफाइल बनाया जाता, फिर आरपीएफ और आईआरसीटीसी के खिलाफ बड़ी तादाद में शिकायत दर्ज कराई जाती. शिकायतों में ये भी शामिल था जिससे आईआरसीटीसी अपनी वेबसाइट से फर्जी आईडी पकड़ने के डिवाइस हटा दे. गौरतलब है कि साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए रेलवे ने साइबर सेल का गठन किया है. उसके जिम्मे मुख्य रूप से अवैध टिकट बिक्रेताओं और सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ करनेवाले अपराधियों को पकड़ने का काम है.


IRCTC के ख़िलाफ़ ट्विटर पर मुहिम चलाने का था मंसूबा


लेकिन आए जिन अपराध करने के अनोखे तरीके खबरों की सुर्खियां बनती हैं. अपराधी शातिराना दिमाग के जरिए अवैध कारोबार करने का मंसूबा बनाते हैं, लेकिन साइबर सेल की टीम की जद में आ जाते हैं. फिलहाल पकड़ में आया गैंग न सिर्फ रेलवे की वेबसाइट को नुकसान पहुंचाने के लिए ट्विटर का सहारा लेने का मंसूबा बनाया था. आखिरकार, साइबर सेल की तत्परता से उनका मंसूबा नाकाम हो गया. उम्मीद है कि रेलवे की साइबर सेल इस सिलसिले में और ज्यादा विस्तार से खुलासा करेगी.


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