(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Maharashtra Crime: सॉफ्टवेयर हैक कर 25 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी, विदेश भी भेजी गई रकम
Maharashtra News: महाराष्ट्र के ठाणे में 25 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. फिलहाल सभी आरोपी फरार हैं.
Maharashtra Crime: महाराष्ट्र के ठाणे स्थित वागले एस्टेट से टेक्नॉलॉजी कंपनी का सॉफ्टवेयर हैक कर 25 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की चौंकाने वाली घटना सामने आई है. कंपनी की कानूनी सलाहकार मनाली साठे की शिकायत पर ठाणे के श्रीनगर पुलिस स्टेशन में इस मामले में केस दर्ज किया गया. शिकायत मिलने के बाद ठाणे की साइबर सेल ने आगे की जांच शुरू कर दी है.
प्रथम दृष्टया में पुलिस की जांच में पाया गया कि फर्जीवाड़े की रकम से 1 करोड़ 39 लाख 19 हजार 264 रुपये रियाल इंटरप्राइजेज के नाम पर एचडीएफसी बैंक में जमा कराई गई है. रियाल एंटरप्राइजेज की जांच करने पर पुलिस को पता चला कि कंपनी का कार्यालय वाशी, बेलापुर और नवी मुंबई में हैं. इसके बाद पुलिस ने वाशी और बेलापुर स्थित रियाल एंटरप्राइजेज के कार्यालयों में जाकर जांच की.
लोगों के नाम पर बनाई गई थी फर्जी कंपनियां
जांच से पता चला है कि नौपाड़ा पुलिस स्टेशन की सीमा के भीतर बालगणेश टॉवर स्टेशन रोड पर विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर पांच फर्जी फर्म स्थापित की गई थीं. इतना ही नहीं पुलिस को कंपनी के बैंक खातों के स्टेटमेंट से लगभग 260 ऐसे बैंक खातों की जानकारी मिली, जिनसे 161,8042.92,479 (16 हजार 180 करोड़ 42 लाख 92 हजार 4 सौ 79 रुपये) की राशि का लेनदेन किया गया है और इस राशि का कुछ हिस्सा विदेश भी भेजा गया.
फर्जी कंपनी बनाकर सरकार को लगाया चूना
अब ये सभी लेनदेन पुलिस के रडार पर आ गए हैं और सभी संदिग्ध लेनदेन जांच के घेरे में हैं. हालांकि, जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि घोटाला कितने रूपए का हुआ है, लेकिन यह बात साफ है कि इन अपंजीकृत फर्मों को स्थापित करके सरकार को चूना लगाया गया है.
पुलिस ने दर्ज किया केस
मामले में संजय सिंह, अमोल आंधले उर्फ अमर, केदार उर्फ समीर, जीतेंद्र पांडे, नवीन और अन्य संबंधित व्यक्तियों पर ठाणे के नौपाड़ा पुलिस स्टेशन में धारा 420, 409, 467, 468 120(बी) सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 66 (सी) 66 (डी) के तहत सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम धारा 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
सभी आरोपी फरार
पुलिस ने बताया कि फिलहाल सभी आरोपी फरार हैं. उन्होंने कई लोगों से केवाईसी के लिए दस्तावेज लिए और कई गरीब मध्यम वर्ग के लोगों के दस्तावेजों का उपयोग करके खाते खोले थे.
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