दिल्ली: लॉकडाउन में साइबर क्रिमिनल ने मचाई तबाही, अप्रैल से जुलाई के बीच लोगों को लगाया सबसे ज्यादा चूना
लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में भी सबसे ज्यादा साइबर क्राइम हुआ. दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के डीसीपी ने बताया कि लॉकडाउन मार्च में शुरू हुआ और इसके बाद से साइबर क्रिमिनल ज्यादा एक्टिव हुए. हालांकि, अनलॉक शुरू होने के साथ ही साइबर अपराध के मामलों में कमी आने लगी.
नई दिल्ली: क्या आप जानते हैं कि आपका मोबाइल आपके लिए खतरा हैं? क्या आप जानते हैं कि आपके मोबाइल के जरिए आपकी जेब खाली हो सकती है. अगर नहीं, तो इस रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ें. इससे आप कंगाल होने से बच सकते हैं. दरअसल, आजकल साइबर क्रिमिनल बहुत ज्यादा एक्टिव है और वो आपके मोबाइल के जरिए आपके बैंक खाते को खाली कर सकते हैं. साइबर अपराधियों ने ठगी करने के ऐसे-ऐसे नायाब तरीके अपनाए हैं जिसके चंगुल में कोई भी आसानी से फंस सकता है.
इतना ही नहीं दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान भी सबसे ज्यादा साइबर क्राइम हुआ. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि ये दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के डीसीपी अनयेश राय का कहना है कि एलॉकडाउन मार्च से शुरू हुआ था और उसके बाद साइबर क्रिमिनल ज्यादा एक्टिव हुए. साइबर सेल के डेटा के मुताबिक मार्च में जहां साइबर अपराध की 1895 शिकायतें आई तो वही अप्रैल में बढ़ कर ये शिकायतें 3372 हो गईं. इसके बाद 4188 मामले सामने आए तो जून में 3239 शिकायतें दर्ज की गईं और जैसे-जैसे अनलॉक शुरू हुआ ये मामले कम होते चले गए.
जनवरी- 1480
फरवरी- 2092
मार्च- 1895
अप्रैल- 3372
मई- 4188
जून- 3239
जुलाई- 4103
अगस्त- 3804
सितंबर- 3040
अक्टूबर- 3049
नवंबर- 2634
साइबर सेल के मुताबिक इस दौरान अलग अलग तरीकों से लोगों के साथ ठगी की गई. जैसे ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान लोग ठगे गए तो उस दौरान कुछ नौकरी के लिए फेक वेबसाइट बनाई गईं और उसके जरिए लोगों को चुना लगाया गया. इसके अलावा व्हाट्सएप पर कुछ लिंक भेजे गए जो जिनपर क्लिक करने के बाद लोग ठगी का शिकार हुए.
डीसीपी साइबर सेल अनयेश रॉय ने बताया कि इस दौरान एक और नया तरीका सामने आया है जिसमें साइबर क्रिमिनल लोगों को ब्लैकमेल कर रहे करके चुना लगा रहे हैं. इसमें साइबर अपराधी किसी ना किसी माध्यम से सामने वाले शख्स को वीडियो कॉल पर जुड़ने के लिए कहते हैं. उनके झांसे में आकर जब वो शख्स वीडियो कॉल ज्वाइन करता है तो उसके वीडियो को रिकॉर्ड कर लिया जाता है और उसमें एडिटिंग के जरिए अश्लील वीडियो ऐड कर दी जाती है. इसके बाद वो वीडियो उसी शख्स को भेजा जाता है और ये धमकी दी जाती है कि इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाएगा और इस डर से लोग साइबर अपराधी की बातों में आकर उसे पैसा ट्रांसफर कर देते है. पुलिस के मुताबिक, 2 महीने इस तरह की अब तक 100 से ज्यादा शिकायतें साइबर सेल को मिल चुकी है जिनकी जांच की जा रही है.
इसके अलावा ठगी फेसबुक के जरिए भी की जा रही है. इसमें साइबर क्रिमिनल ऐसे फेसबुक यूज़र को टारगेट करते हैं जो अपनी प्रोफाइल में छोटी से छोटी इंफॉर्मेशन पब्लिक कर देते हैं और उनकी फ्रेंड लिस्ट में लोग भी ज्यादा होते हैं, अमूमन ऐसे लोगों को ही टारगेट किया जाता है. साइबर क्रिमिनल सबसे पहले उस शख्स की एक फेक फेसबुक प्रोफाइल बनाते हैं. इसके बाद उसके दोस्तों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी जाती है. करीब 50 के आस-पास फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट होने के बाद उन सभी को एक मैसेज किया जाता है, जिसमें लिखा होता है कि उसे पैसों की सख्त जरूरत है और वो कहीं फंसा हुआ है. लोग बिना कंफर्मेशन के ही पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं और बाद में उन्हें पता चलता है कि वह ठगी का शिकार हुए हैं.
डीसीपी अनयेश रॉय के मुताबिक सबसे ज्यादा साइबर क्रिमिनल इस वक्त मेवात में एक्टिव है. कई मामलों की जांच के दौरान यह सामने आया है कि मेवात में साइबर क्रिमिनल सक्रिय हैं और वहीं बैठ कर कई राज्यों को टारगेट कर रहे हैं.
अब इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह था कि आखिरकार फोन करने के लिए सिम कहां से आती हैं वह कौन लोग हैं जो साइबर क्रिमिनल्स को मोबाइल के सिम प्रोवाइड करते हैं. इस बात के जवाब में डीसीपी अनयेश ने बताया कि जांच के दौरान पता चला है कि इसमें सिम प्रोवाइड करने वालों की मिलीभगत होती है.
मेवात की अगर बात करे तो यहां के जो साइबर अपराधी है वो असम और तेलंगाना की मोबाइल सिम के जरिए लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं और जामताड़ा के अपराधी वेस्ट बंगाल की सिम का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनके मुताबिक कुछ दिन पहले जांच के दौरान 14000 फर्जी नम्बर पाए गए जो कि मेवात के थे. इसके बारे में डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम को बता दिया गया है और कार्रवाई की जा रही है.
इसके अलावा एक और नायाब तरीके के बारे इन्होंने बताया एक और तरीके लोगों को चुना लगाया जा रहा है जिसमें किसी को भी कॉल नही किया जाता सिर्फ एक मैसज के जरिए ही ठगी की जा रही है. इसमें जिस शख्स के साथ ठगी करनी है, उसके मोबाइल पर एक मैसेज भेजा जाता है और उस मैसेज में कहा जाता है कि आपको कुछ कैशबैक मिला है और वो कैशबैक आपको तब मिलेगा जब आप कार्ड को स्क्रैच करेंगे. सामने वाला शख्स बिना यह जाने कि मैसेज कहां से आया है जब उस पर स्क्रैच करता है तब उसमें एक एप्लीकेशन पर क्लिक करने के लिए कहा जाता है और जैसे ही उस पर क्लिक किया जाता है तभी वह शख्स ठगी का शिकार हो जाता है.
अगर आप इन सब ठगी से बचना चाहते हैं तो कुछ बेसिक बातें हैं जो आप को ध्यान में रखनी होगी. सबसे पहली बात यह कि जो भी मैसेज या लिंक आपको भेजा जाता है उस पर क्लिक ना करें. सबसे पहले मैसेज को अच्छे से पढ़े और उसके बाद ही उस पर रिस्पॉन्ड करें. सोशल मीडिया साइट फेसबुक इंस्टाग्राम टि्वटर पर अपनी पूरी जानकारी शेयर ना करें.
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