Cyclone Biparjoy Effect: चक्रवाती तूफान बिपरजॉय शनिवार 17 जून की सुबह राजस्थान पहुंच चुका है और 65 किमी की रफ्तार के साथ जोधपुर की ओर बढ़ रहा है. इस तूफान की वजह से सभी रक्षा और बचाव एजेंसियां अलर्ट पर हैं, तो वहीं भारतीय मौसम विभाग ये दावा कर रहा है कि जल्द ही यह तूफान खत्म हो जाएगा.
हालांकि इस तूफान से मानसून पर क्या प्रभाव पड़ा है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दे सका है. इस रिपोर्ट में हम बताएंगे कि आखिर बिपरजॉय अभी कहां है? वह आने वाले 12 घंटों में कहां होगा. उसकी वजह से उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में क्या असर पड़ेगा, और सबसे आखिर में यह कि बिपरजॉय की वजह से देश में मानसून पर कितना असर पड़ेगा.
इससे भी पहले आपको बता दें कि बिपरजॉय सबसे पहले अरब सागर में 4 जून को भारतीय समय रात साढ़े 11 बजे केरल के कोझिकोड से 982 किमी दूर और कच्छ से लगभग 1500 किमी दूर शुरू हुआ था और इसने शुक्रवार 15 जून को शाम साढ़े 5 बजे कच्छ जिले में लैंड हिट किया था.
अभी कहां है बिपरजॉय?
खबर लिखे जाने तक हमारी सैटेलाइट एनालिसिस के आधार पर बिपरजॉय तूफान तेजी से जोधपुर की ओर बढ़ रहा है. भारतीय मौसम विभाग की मानें तो यह निम्न दाब वाले क्षेत्र में है और अगले 36 घंटों में इसके धीमे पड़कर खत्म हो जाने की संभावना है. लेकिन इसके साथ ही इलाके में तेज हवाएं चल रही हैं.
ऐसा माना जा रहा है कि अभी इसकी जितनी रफ्तार है उसके वजह से पानी से भरे बादल आने वाले 12 घंटों में राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में तेज हवा के साथ मध्यम से भारी बारिश का अनुमान है.
बिपरजॉय का मानसून पर क्या असर पडेगा?
बिपरजॉय तूफान ने काफी तेजी के साथ मानसून बनने के लिए कारक हवाओं पर प्रभाव डाला है. जैसा कि अगर आप उपरोक्त तस्वीरों को देखेंगे तो आप पाएंगे कि बिपरजॉय की वजह से अरब सागर से उठने वाली मानसून लहरें जो केरल में जून के पहले हफ्ते बारिश की वजह बनते हुए मध्य भारत पहुंचती हैं. वह हवाएं अब तमिलनाडु के रास्ते बंगाल की खाड़ी और फिर बांग्लादेश के रास्ते नॉर्थ ईस्ट और वहां से वह हिमालय की श्रृंखलाओं से टकराने के बाद पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों से गुजरते हुए बिहार, यूपी, मध्य प्रदेश और आस-पास के इलाकों में बरसने वाली थी.
लेकिन बिपरजॉय की वजह से जब ये हवाएं दिल्ली के रास्ते पूर्वी उत्तर प्रदेश पहुंचेगी तो ये हवाएं उत्तर पूर्वी मध्य भारत में आपस में टकरा जाएंगी और ऐसे में तीन स्थितियां बनेंगी.
1. यह मानसून को वापस बंगाल की खाड़ी में धकेल देगा, जिससे मानसून में एक-दो हफ्ते की देरी हो सकती है.
2. यह मानसून को आंध्र प्रदेश-तेलंगाना के तटीय क्षेत्रों में मोड़ सकती हैं,
3. या ये हवाएं नेपाल की ओर मुड़ सकती हैं और वहां पर भारी बारिश की वजह बन सकती हैं जिससे बाढ़ जैसी स्थिति पैदा होने का खतरा है. जो बिहार और पश्चिम बंगाल में भी असर डाल सकता है.
यानी देश के इन 5 मैदानी राज्यों में समय पर बारिश नहीं होगी, या कम बारिश होगी जिससे की इन इलाकों में खाद्यान्न उत्पादन पर प्रभाव पड़ेगा. यानी इससे सबसे ज्यादा किसान प्रभावित होंगे. मानसून की देरी से फसलों के उत्पादन पर या उनकी लागत पर सीधा प्रभाव पड़ता है.