'फोनी' से होने वाले नुकसान से बचने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी, आप ऐसे करें अपना बचाव
फोनी तूफान के बाद के खतरों से निपटने के लिए एनडीआरएफ और सशस्त्र बलों की टीमों की तैनाती की गई है. जगह-जगह राहत बचाव केंद्र बनाए गए हैं. प्रशासन ने समुद्र तट के नजदीक नहीं जाने की सलाह दी है.
नई दिल्ली: ओडिशा में चक्रवाती तूफान फोनी करीब 200 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दस्तक देगा. जिसका असर आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों में भी देखा जाएगा. इसके खतरे को देखते हुए अब तक 11 लाख के करीब लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है. एनडीआरएफ की 81 टीमें तैनात की गई है, सुरक्षाबलों को अलर्ट पर रखा गया है. स्थानीय प्रशासन चौकस है. लोगों को भी सावधानी बरतने के लिए कहा गया है.
कैसे करें बचाव? -स्थानीय प्रशासन के अलर्ट को मानें. मोबाइल, रेडियो, टीवी, अखबार से मिली विश्वसनीय सूचना पर ध्यान दें.
-कोई भी जानकारी प्रशासन की तरफ से मिलती है तो इसे लोगों तक पहुंचाएं. अफवाहों पर ध्यान नहीं दें और न ही अफवाह फैलाएं.
- संकट की स्थिति में प्रशासन के द्वारा दिये गए हेल्पलाइन नंबर पर फोन करें. धैर्य रखें और आसपास के लोगों को भी धैर्य रखने की सलाह दें.
-अगर आप तटीय इलाकों में हैं तो ऊंचे और सुरक्षित स्थान पर जाएं. तटीय इलाकों वाले घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जाएं. समुद्र किनारे नहीं जाएं.
-प्रशासन की सलाह मिलने पर घर खाली कर दें. कीमती समानों के अलावा समानों की चिंता नहीं करें.
-खाने-पीने का सामान सुरक्षित रखें. संभव हो तो सूखा खाना रखें.
-घर की बिजली बंद कर दें. घर से निकलने की स्थिति में जरूरी दवाएं खरीद लें. रोशनी के लिए टॉर्च पास में रखें.
- ओडिशा सरकार ने जिलेवार हेल्पलाइन नंबर जारी किये हैं. किसी भी जानकारी के लिए तूफान प्रभावित लोग कॉल कर सकते हैं.
कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एहतियात के तौर पर और स्थिति से निटपने की तैयारी के तौर पर उठाये गये कदमों की जानकारी दी गयी. इनमें पर्याप्त साधनों की व्यवस्था, एनडीआरएफ और सशस्त्र बलों की टीमों की तैनाती,पेयजल की आपूर्ति का इंतजाम, बिजली और दूरसंचार सेवाओं के अस्तव्यस्त हो जाने पर उन्हें बहाल करने के लिए की गयी तैयारी आदि शामिल हैं.
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उभरती स्थिति की समीक्षा के बाद प्रधानमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित राज्यों के अधिकारियों के साथ तालमेल बनाये रखने का निर्देश दिया ताकि एहतियाती कदम तथा जरूरत के हिसाब से राहत-बचाव के लिए प्रभावी कदम उठाये जा सकें.