मुंबई: चक्रवाती तूफान ताउते की चपेट में आए बार्ज P-305 हादसे और टग बोट वरप्रदा हादसे में कुल 86 लोगो की मौत हो गई. घटना के 9 दिनों बाद भी हादसे में अपनों को खोने वाले पीड़ित परिवार शव के लिए भटक रहे हैं. कोई जे जे अस्पताल, तो कोई ONGC दफ्तर और कोई यूनियन जाकर मदद की गुहार लगा रहा है.  


सजल के पिता स्वपुन विश्वास मजदूर हैं. बंगाली के अलावा कोई भाषा नहीं आती. मुंबई पहली बार आए हैं, समुद्र पहली बार देखा और उन्हें विश्वास नहीं हो रहा कि बेटा तो नौकरी करने गया था और शव ऐसी हालत में दिया जा रहा है कि सजल की पहचान नहीं हो पा रही है. सजल, बार्ज P-305 पर हाउसकीपिंग का काम कर रहे थे. सजल के भाई अतानु का कहना है कि सजल मेरीटाइम नाम की कंपनी के नाम पर ONGC के लिए काम कर रहा था. 8 महीने से बार्ज पर था. सजल के पिता बहुत गरीबी में रहते हैं और परिवार ने इकलौता कमाने वाला बेटा खो दिया है. श्रीवास के पिता पश्चिम बंगाल के नादिया जिला में खेती और मजदूरी का काम करते हैं.  
  
वहीं 26 साल के श्रीवास घोष बार्ज P-305 पर हाउसकीपिंग का काम कर रहे थे. श्रीवास घोष के परिवार का कहना है कि श्रीवास सिनाई मेरीटाइम नाम की कंपनी के नाम पर ONGC के लिए काम कर रहा था. श्रीवास 8 महीने से बार्ज पर था पर लॉकडाउन की वजह से बार्ज जहाज से उतर नहीं सका. श्रीवास के पिता पश्चिम बंगाल के नादिया जिला में खेती और मजदूरी का काम करते हैं. ONGC के मुताबिक बार्ज दोपहर बाद डूबा पर श्रीवास घोष ने अपने परिवार को 17 तारीख की सुबह साढ़े 7 बजे मेसेज कर बताया था कि बार्ज में पानी भर रहा है और बार्ज में आग लगी है. श्रीवास को 20 हजार रुपए वेतन मिलता था.  


फारवर्ड सीमेंस यूनियन ऑफ इंडिया (FSUI) के महासचिव, मनोज यादव का कहना है कि ONGC या AFCONS द्वारा कोई एक जगह सेंटरप्वाइंट नहीं रखा गया है, जिससे पीड़ित परिवार जगह-जगह भटक रहे हैं. बहुत से परिवार वालों को यह भी जानकारी नहीं है कि उनके बेटे या भाई किस कंपनी में काम करते थे. इतना ही नहीं परिवारों के साथ कुछ कंपनी वाले अभद्र व्यवहार भी कर रहे हैं.