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डी के शिवकुमार बने कर्नाटक के 'मैन ऑफ द मैच', ऐसे गिरवाई बीजेपी की सरकार

कर्नाटक संकट में शुरू से लेकर आखिर तक जो एक शख्स कांग्रेस के लिए संकटमोचक बना रहा. जब एक एक विधायक के लिए मार मची हुई थी ऐसे समय में जिसने कांग्रेस के सभी विधायकों को एकजुट रखा. उसका नाम है डी के शिवकुमार.

नई दिल्लीः कर्नाटक में अब जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनेगी. कांग्रेस इसे अपनी जीत बता रही है लेकिन इस जीत का असली श्रेय सिद्धरमैया सरकार में मंत्री रह चुके कांग्रेसी विधायक डी के शिवकुमार को जाता है. डी के शिवकुमार की रणनीति के आगे बीजेपी के सारे दांव फेल हो गए. दरअसल कांग्रेस-जेडीएस की जीत का नायक कांग्रेस का वो विधायक है जो पिछले 4 दिनों से सभी कांग्रेसी विधायकों को सेंधमारी से बचाने में लगा है.

कर्नाटक संकट में शुरू से लेकर आखिर तक जो एक शख्स कांग्रेस के लिए संकटमोचक बना रहा. जब एक एक विधायक के लिए मार मची हुई थी ऐसे समय में जिसने कांग्रेस के सभी विधायकों को एकजुट रखा. उसका नाम है डी के शिवकुमार.

कांग्रेस के 7 बार के विधायक डी के शिवकुमार ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण के पहले ही ये भविष्यवाणी कर दी थी कि येदुरप्पा बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे और उन्हें इस्तीफा देना होगा. शिवकुमार का ये दावा सिर्फ हवाई नहीं था क्योंकि वो लगातार कांग्रेस के हर विधायक पर नजर रखे हुए थे. यहां तक कि जब दो कांग्रेसी विधायक प्रताप गौड़ा और आनंद सिंह आज सुबह विधानसभा नहीं पहुंचे और कहा जा रहा था वो बीजेपी के खेमे में जा चुके हैं उन्हें लेकर भी डी के शिवकुमार लगातार पूरी तरह आश्वस्त थे. उन्होंने पहले ही कहा था कि वो आएंगे, वो कांग्रेस के आदमी हैं और कांग्रेस की तरफ से ही वोट देंगे. प्रताप भी पार्टी की तरफ से वोट करेंगे.

शिवकुमार का ये दावा भी उस वक्त सही साबित हुआ जब विश्वास मत के पहले वो खुद आनंद सिंह का हाथ पकड़कर उन्हें विधानसभा के अंदर लाते देखे गए. इसके ठीक पहले विधानसभा के बाहर वो कांग्रेस के दूसरे विधायक प्रताप गौड़ा के साथ भी नजर आए, जब किसी ने गौड़ा को एक तरफ खींचने की कोशिश की तो डी के शिवकुमार ने हाथ पकड़कर उन्हें रोका.

दरअसल कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा के नतीजे आने के बाद से ही कांग्रेस ने डी के शिवकुमार को सभी कांग्रेसी विधायकों को एक साथ रखने की जिम्मेदारी सौंप दी थी. बेंगलुरु के ईगलटन रिसॉर्ट से लेकर हैदराबाद तक और फिर वहां से विधानसभा तक कांग्रेसी विधायकों को पहुंचाने की जिम्मेदारी को शिवकुमार ने पूरी जिम्मेदारी से निभाया. यहां तक कि जब ईगलटन रिसॉर्ट में पुलिस हटा ली गयी तब भी शिवकुमार ने कहा कि कांग्रेस के विधायकों की सुरक्षा पर कोई खतरा नहीं है

ये पहला मौका नहीं है जब डी के शिवकुमार कांग्रेस के संकटमोचक बने. पिछले ही साल राज्यसभा चुनाव के वक्त सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को जिताने के लिए गुजरात के कांग्रेस विधायकों की सुरक्षा का जिम्मा डी के शिवकुमार को सौंपा गया था. यही नहीं 2002 में महाराष्ट्र की विलासराव देशमुख सरकार को गिरने से बचाने के लिए वहां के 40 कांग्रेसी विधायक को भी डी के शिवकुमार की देखरेख में बेंगलुरु के ईगलटन रिसॉर्ट में भेजा गया था.

जानिए डी के शिवकुमार का पूरा राजनीतिक सफर

  • डी के शिवकुमार कर्नाटक के सबसे अमीर विधायकों में से एक हैं, उनकी घोषित संपत्ति 730 करोड़ रुपए की है.
  • वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले शिवकुमार 1988 में पहली बार 1988 में विधायक बने थे.
  • दिलचस्प बात ये है कि राजनीति की शुरूआत से ही डी के शिवकुमार की लड़ाई एच डी देवेगौड़ा और उनके पुत्र कुमारस्वामी के खिलाफ रही.
  • 2004 के चुनाव में में डी के शिवकुमार ने एच डी देवेगौड़ा को हराने में बड़ी भूमिका निभाई.
  • और उससे पहले 1998 में देवेगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी को हरवाया था.

लेकिन राजनीति का खेल देखिए 20 साल बाद उन्हीं कुमारस्वामी को सीएम बनाने के लिए डी के शिवकुमार ने दिन रात एक कर दिया और येदुरप्पा के इस्तीफा देने के साथ ही वो विधानसभा में कुमारस्वामी का हाथ थामे नजर आए और ये दावा किया कि अब वो मिलकर काम करेंगे.

डी के शिवकुमार पर भी लगे भ्रष्टाचार के कई आरोप सिद्धारमैया की सरकार में मंत्री रह चुके हैं डी के शिवकुमार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लग चुके हैं. 2015 में कर्नाटक हाई कोर्ट में एक याचिका डालकर शिवकुमार और उनके परिवार पर अवैध खनन में शामिल होने का आरोप लगाया गया था. इसी तरह शिवकुमार और उनके भाई डी के सुरेश पर 66 एकड़ जमीन पर कब्जे का आरोप भी है. 2017 में इनकम टैक्स विभाग ने डी के शिवकुमार के ठिकानों पर छापे मारे तो करोड़ों रुपए बरामद हुए. शिवकुमार पर टैक्स चोरी का मामला भी है

लेकिन फिलहाल सत्ता के खेल में डी के शिवकुमार कर्नाटक के 'मैन ऑफ द मैच' बन गए हैं.

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